८२४ पूंजीवादी उत्पादन . . । करार देकर फांसी रे दी जाती थी। अपनी किसी भी अन्य व्यक्तिगत सम्पत्ति या पशु की तह, मालिक गुलाम को बेच सकता था, वसीयत में दे सकता था और किराये पर उन सकता था। यदि गुलाम अपने मालिकों के खिलाफ कुछ करने की कोशिश करते थे, तो उनको भी फांसी दे दी जाती थी। स्थानीय मजिस्ट्रेट सूचना मिलते ही ऐसे बदमाशों को पकड़ मंगवाते । यदि यह देखा जाता था कि कोई पावारा प्रारमी तीन दिन से कुछ नहीं कर रहा है, तो उसे उसके जन्म स्थान पर ले जाया जाता था और लोहा लाल करके उसकी छाती पर पाबारागी का "V" चिन्ह वाय विया जाता था और फिर पंजीरों से जकड़कर उससे सड़क कुटवायी जाती पीया कोई और काम लिया जाता था।यविनावारा प्रादमी अपने जन्म- स्थान का गलत पता बताता था, तो उसे जीवन भर इस स्थान की, वहां के निवासियों की पौर वहाँ की कोर्पोरेशन की गुलामी करनी पड़ती थी और उसके माथे पर पुलामी का "S" चिन्ह वा दिया जाता था। सभी व्यक्तियों को भावारा प्रादमियों के बच्चों को उठा ले जाने पौर सीलतर मजदूरों के रूप में उनसे काम लेने का अधिकार पा-लड़कों से २४ वर्ष की मायु तक और लड़कियों से २० वर्ष की भायु तक। यदि ये बच्चे भाग जाते थे तो उनको उपरोक्त प्रायु तक अपने मालिकों की पुलामी करनी पड़ती थी, वो इच्छा होने पर उनको बंजीरों में बांधकर रख सकते थे, कोई लगा सकते थे, प्रावि। हर मालिक अपने गुलाम के गले में, बाहों में या टांगों में लोहे का छल्ला गल सकता था, ताकि गुलाम को स्यावा मासानी से पहचाना जा सके और वह भाग न सके। कानून के अन्तिम भाग में कहा गया है कि कुछ गरीब लोगों को ऐसा कोई भी स्थान या व्यक्ति नौकर रख सकता है, वो उनको जाने-पीने को देने को राजी हो और वो उनके लिये कोई काम निकाल सके। "Roundsmen" के नाम से, इस प्रकार के प्रामवासों से इंगलब में १९वीं शताब्दी के काफी वर्ष बीत जाने तक काम लिया जाता था। एलिजावे के राज्य-काल में १५७२ में एक कानून बनाया गया, जिसके अनुसार १४ वर्ष से अधिक मात्र के ऐसे मिलारियों को, जिनके पास लाइसेंस न हो, पूरी तरह कोड़े लगाये जाते थे और उनका बायां कान नाम दिया जाता था। इस बस से वे केवल उसी हालत में छूट सकते थे, अब कोई पावनी उनको दो साल के लिये नौकर रखने को तैयार हो पाये। बोबारा पकड़े जाने पर, यदि उनकी उन्न १८ वर्ष से अधिक होती थी और कोई पावनी उनको दो साल के लिये नौकर रखने को राजी नहीं होता था, तो उनको फांसी देवी जाती थी। पौर तीसरी बार पकड़े जाने पर तो उनको हर हालत में घोर अपराधी करार देकर मार गला जाता था। इसी प्रकार कुछ और कानून भी बनाये गये पैसे एलिवावे के राज्य-काल का १८ वा कानून (१३ वा अन्याय) और १५९७ का एक और कानून।' 1 Essay on Trade, etc." ('व्यापार प्रादि पर निबंध') [१७७०] के लेखक ने कहा
- "मालूम होता है कि एस्वर छठे के राज्यकाल में अंग्रेज लोग सचमुच पूरी गम्भीरता
के साथ उद्योगों को प्रोत्साहन देने और गरीबों से काम लेने लगे थे। इसका प्रमाण है एक उल्लेखनीय कानून, जिसमें कहा गया है कि सभी प्रावारागर्द लोगों को दाग दिया जायेगा, इत्यादि।" (उप. पु., पृ०५) 'टोमस मोर ने अपनी रचना "Utopia" ('कल्पना-लोक') में लिबा है: "इस प्रकार अक्सर यह देखने में प्राता है कि कोई लालची और पेटू पादमी, जिसके लोभ की कोई सीमा नहीं होती और जो अपनी मातृभूमि के लिये शाप के समान होता है, वह कई हजार . . -