पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/८०९

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८०६ पूंजीवादी उत्पादन . . मोर, यह प्रावश्यक था कि जन-साधारण पतन और लगभग दासत्व की स्थिति में हों, उनको भाड़े के ह.मों में परिणत कर दिया जाये और उनके श्रम के साधनों को पूंजी में बदल दिया जाये। परिवर्तन के इस काल में कानून बनाकर इस बात की भी कोशिश की गयी कि मोतिहर बेतन-भोगी मजदूर के मोपड़े के साथ ४ एकड़ जमीन का टुकड़ा बड़ा रहे, और उसे अपने मॉपड़े में किरायेदार रखने की मनाही कर दी गयी। जेम्स पहले के राज्यकाल में फष्ट- मिल के रोजर कोकर को १६२७ में इस बात के लिये सवा दी गयी कि उसने फष्ट-मिल की अपनी बीवारी में एक मॉपड़ा बना लिया था, हालांकि उसके साथ ४ एकर जमीन का कोई टुकड़ा स्थायी रूप से नहीं जुड़ा हुआ था। इसके बाव, बासं पहले के राज्य-काल के समय, १६३८ में पुराने कानूनों को -खास कर ४ एकर जमीन वाले कानून को-अमल में लाने के लिये एक शाही प्रायोग नियुक्त किया गया। यहां तक कि कोमवेल के समय में भी लन्दन के ४ मील के घेरे में उस समय तक कोई मकान नहीं बनाया जा सकता था, जब तक कि उसके साथ ४ एकड़ जमीन न हो। इतना ही नहीं, १८ वीं शताब्दी के पूर्वार्ड में भी यदि किसी बेतिहर मजदूर के झोंपड़े के साथ दो-एक एकर बमीन का कोई दुकड़ा नहीं जुड़ा होता था, तो शिकायत कर दी जाती थी। प्रावकल यदि उसे अपने झोपड़े के साथ एक छोटा सा बगीचा लगाने के लिये बरा सी बमीन मिल जाती है या वह अपने मोपड़े से काफी दूर दो-एक म बमीन लगान पर ले सकता है, तो वह अपने को बहुत सौभाग्यशाली समझता है। ग. हन्टर ने लिखा है: "इस मामले में सीवारों और काश्तकारों की मिली भगत रहती है। मॉपड़े के साप यदि दो-एक एकर जमीन भी हों, तो मजबूर अत्यधिक स्वतंत्र हो जायें।" काश्तकारों या मध्य वर्ग के ऐसे लोगों (yeomanry) की काश्त और कब्जे में मा गया है, जिनकी हैसियत भद्र पुरुषों और झोंपड़ों में रहने वालों (cottagers) तथा किसानों के बीच की है ... कारण कि युद्ध सम्बन्धी सर्वश्रेष्ठ जानकारी रखने वाले लोगों का सामान्य मत यह है कि युद्धों में...किसी भी सेना की मुख्य शक्ति पैदल सैनिकों की होती है। और अच्छी पैदल सेना भर्ती करने के लिये जरूरी होता है कि लोगों का लालन-पालन दासत्व अथवा प्रभाव की अवस्था में न होकर स्वतंत्रता एवं समृद्धि में हुआ हो। इसलिये , यदि किसी राज्य में केवल सामन्तों और भद्र पुरुषों का ही ख्याल रखा जाता है और काश्तकार तथा हल चलाने वाले महज उनके टहलुए और मजदूरों की तरह होते हैं या उनकी हैसियत केवल झोंपड़ों में रहने वालों की होती है (जो मात्रय-प्राप्त भिखारियों से अधिक कुछ नहीं होते), तो उस राज्य में घुड़सवार सेना तो अच्छी बन सकती है, लेकिन अच्छे और टिकाऊ पैदल दस्ते कभी नहीं भर्ती किये जा सकते ... और फ्रांस और इटली में तथा अन्य कई विदेशी इलाकों में यही स्थिति है। वहां असल में या तो अभिजात वर्ग के लोग है और या किसान है... यहां तक कि इन देशों को अपनी पैदल पलटनों के लिये स्विटजरलैण्डवासियों में से या किसी और देश के रहने वालों में से भाड़े के सिपाही भर्ती करने पड़ते हैं ; और उसका यह नतीजा भी होता है कि इन देशों में रहने वालों की संख्या तो बहुत बड़ी होती है, पर वहां सिपाही बहुत कम होते हैं।" ("The Reign of Henry VII, etc." Verbatim reprint from Kennet's England ['fare utan Tea- काल , इत्यादि । केनेट के 'इंगलैण्ड' से शब्दशः पुनर्मुद्रित], १७१९ वाला संस्करण, Lon- don, 1870, q. 2051) 'ग. हण्टर, उप० पु०, पृ. १३४।-(पुराने कानूनों के अनुसार) जितनी जमीन होनी चाहिये थी, वह अब मजदूरों के लिये बहुत अधिक समझी जाती है, और लोगों का विचार है