खेतिहर प्राबादी की जमीनों का अपहरण ८०५ शहरों, धर्म-संगठनों, बाश-व्यवस्था प्रावि का पतन होने लगा . . . इस बुराई को दूर करने में राजा ने और उस काल की संसद ने बड़ी बुद्धिमानी से काम लिया . उन्होंने पावादी को उजाड़ने वाली इस महाताबन्दी (depopulating inclosures) को और मावावी को उजाड़ने वाली इन चरागाहों की प्रथा (depopulating pasturage) को बन्द कर देने के लिये कदम उठाया।" हेनरी सातवें के राज्य-काल के १४८६ के एक कानून (अध्याय १९) के द्वारा "ऐसे तमाम काश्तकारों के मकानों" को गिराने पर प्रतिबंध लगा दिया गया, को कम से कम २० एकर जमीन के मालिक थे। हेनरी पाठवें के राज्य-काल का २५ वां कानून बनाकर यह प्रतिबंध फिर से लगा दिया गया। इस कानून में अन्य बातों के अलावा यह भी कहा गया है कि बहुत से नार्म और डोरों के-विशेषकर भेड़ों के-बड़े-बड़े रेवड़ बन पावमियों के हाथों में संकेत्रित हो गये है, जिसके फलस्वरूप जमीन का लगान बहुत बढ़ गया है और खेती के रकबे (tillage) में कमी मा गयी है, बहुत से गिरजाघर और मकान गिरा दिये गये हैं और प्रतिविशाल संख्या में लोगों से ऐसे तमाम साधनं छीन लिये गये हैं, जिनसे वे अपना और अपने बाल-बच्चों का पेट पाल सकते थे। चुनांचे इस कानून के जरिये प्रावेश दिया गया कि जीर्ण फ्राों को फिर से तैयार किया जाये, और अनाज की खेती की समीन तथा चरागाह की जमीन का अनुपात निश्चित कर दिया गया, इत्यादिनत्यादि। १५३३ के एक कानून में कहा गया है कि कुछ मालिकों के पास २४,००० भेड़ें है, और उसके परिये यह प्रतिबंध लगा दिया गया कि कोई व्यक्ति २,००० से अधिक भेड़ें नहीं रख सकता। छोटे काश्तकारों और किसानों के सम्पत्ति-अपहरण के विण्ड लोगों ने बहुत शोर मचाया और हेनरी सातवें के बाद सौ वर्ष तक इस सम्पत्ति-अपहरण को रोकने के लिये अनेक कानून भी बनाये गये। लेकिन दोनों ही चीजें व्यर्थ सिद्ध हुई। लोगों की शिकायतों और इन कानूनों के निकम्मेपन का क्या रहस्य था, यह बेकन ने हमें अनजाने में बता दिया है। उसने अपनी "Essays, Cloll and Moral" ('नागरिक और नैतिक निबंधावली') के २९ वें निबंध में लिखा है कि "हेनरी सातवें ने एक बहुत ही गूढ़ और प्रशंसनीय उपाय खोज निकाला पा। वह यह कि काश्तकारों के फार्मों और घरों को एक निश्चित अनुमाप के अनुसार बनाया जाये, अर्थात् उनको इस अनुपात में जमीन दी जाये, जिससे प्रजाजन दासत्व की स्थिति में न रहें, बल्कि सुविधाजनक समृद्धि में जीवन व्यतीत करें, और जिससे हल महत भारे के मजदूरों के हाथों में न रहकर मालिकों के हाथ में रहें" ("to keep the plough in the hands of the owners and not mere hirelings)' पूंजीवादी-व्यवस्था के लिये, दूसरी - . 1 टोमस मोर ने अपनी पुस्तक "Utopia" ('कल्पना-लोक') में कहा है कि इंगलैण्ड में "तुम्हारी वे भेड़ें, जो कभी इतनी नम्र और विनीत और इतनी मिताहारी हुआ करती थीं, अब मैं सुनता हूं कि ऐसी सर्वभक्षी और इतनी जंगली हो गयी हैं कि खुद मनुष्यों को ही चबाकर निगल जाती हैं।" ("Utopia" ["कल्पना-लोक'], Robinson का अनुवाद, Arber का संस्करण, London, 1869, पृ० ४११) 'बेकन ने इस पोर भी संकेत किया है कि स्वतंत्र और खाते-पीते किसानों तथा अच्छी पैदल सेना के बीच क्या सम्बंध होता है। "राज्य की शक्ति और माचरण से इस बात घनिष्ठ सम्बंध था कि फार्मों को ऐसे भाकार का रखा जाये , जो समर्थ मनुष्य को प्रभाव से बचाकर जीवित रखने के लिये पर्याप्त हो; और इससे राज्य की जमीन का एक बड़ा भाग सचमुच . का
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