पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/८०५

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सत्ताईसवां अध्याय खेतिहर प्राबादी की जमीनों का अपहरण इंगलब में १४ वीं शताबी के अन्तिम भाग में कृषि-वास-प्रथा का वस्तुतः अन्त हो गया था। उस समय -पौर १५ वीं शताब्दी में तो और भी अधिक परिमाण में-पावावी की प्रबल बहुसंल्या' अपनी भूमि के मालिक स्वतंत्र किसानों की पी, भले ही उनका स्वामित्व कैसे भी सामन्ती अधिकार के पीछे छिपा रहा हो। ज्यादा बड़ी जागीरों पर पुराने bailiff (कारिने) का, जो जब भी किसी समय कृषि-पास था, स्वतंत्र कृषक ने स्थान ले लिया पा। मजदूरी लेकर खेती में काम करने वाले मजदूरों का एक भाग किसानों का पा, जो अवकाश के समय का उपयोग करने के लिये बड़ी जागीरों पर काम करने चले माते थे, और दूसरा भाग वेतन-भोगी मजदूरों के एक स्वतंत्र एवं विशिष्ट वर्ग का था, जिनकी संख्या सापेक एवं निरपेक दृष्टि से बहुत कम थी। इन मजदूरों को एक तरह से किसान भी कहा जा सकता था, क्योंकि मजदूरी के अलावा उनको अपने घरों के साथ-साथ ४ एकर या उससे ज्यादा खेती के लायक समीन भी मिल जाती । इसके अतिरिक्त, अन्य किसानों के साथ-साथ इन लोगों को भी गांव की सामूहिक भूमि के उपयोग का अधिकार मिला हुआ था, जिसपर उनके डोर परते थे और जिससे उनको इमारती लकड़ी, जलाने के लिये लकड़ी, पीट प्रादि मिल - " उस समय...खुद अपने हाथों अपने खेतों को जोतने-बोने वाले और कम सामर्थ्य वाले छोटे मालिक किसान. ...माजकल की अपेक्षा राष्ट्र के अधिक महत्वपूर्ण भाग थे। यदि उस युग के प्रांकड़ों का विवेचन करने वाले सबसे अच्छे लेखकों पर विश्वास किया जाये, तो हम यह पाते हैं कि उन दिनों कम से कम १,६०,००० मालिक छोटी-छोटी निःशुल्क जमींदारियों (freehold estates) के सहारे जीवन-निर्वाह करते थे। अपने परिवारों के साथ ये लोग उस जमाने की कुल मावादी के सातवें हिस्से से ज्यादा रहे होंगे। इन छोटे जमींदारों की प्रोसत पाय...लगभग ६० पौण्ड पौर ७० पौण्ड वार्षिक के बीच होती थी। हिसाब लगाया गया था कि खुद अपनी जमीन जोतने वाले व्यक्तियों की संख्या उन लोगों से अधिक थी, जो दूसरों की जमीन जोतते थे।" (Macau- lay, "History of England" (मकोले , 'इंगलैण्ड का इतिहास'), १० वां संस्करण, London, 1854, खण्ड १, पृ. ३३३, ३३४१) १७ वीं शताब्दी की प्राखिरी तिहाई में भी इंगलैण्ड के रहने वालों में पांच में से चार मादमी खेती का धंधा करते थे। (उप० पु०, पृ० ४१३३)-मैंने मकोले को इसलिये उद्धृत किया है कि इतिहास को सुनियोजित ढंग से तोड़-मरोड़कर पेश करने वाले मेखक के रूप में वह इस प्रकार के तथ्यों पर सदा कम से कम जोर देते हैं। - .