पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/७९३

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७६० पूंजीवादी उत्पादन है। यही कारण है कि तालिका (च) में ६० पौण और १०० पौष के बीच की प्रामवनियां कम हो गयी है। प्रापरलेस में तिहर मजदूरों की स्थिति का एक स्पष्ट चित्र मायरलेस के गरीबों के कानून के इंस्पेक्टरों की रिपोर्टो (१८७०) में मिलता है। ये इंस्पेक्टर एक ऐसी सरकार के कर्मचारी हैं, जो केवल संगीनों के बल पर कायम है और देश में या तो ऐलानिया ढंग से और या छिपे तौर पर सैनिक शासन के द्वारा बीवित रहती है। इसलिये उन्हें अपनी भाषा में ऐसी हर प्रकार की सावधानी बरतनी पड़ती है, जिसे इंगलैग के इंस्पेक्टर उपेक्षा की दृष्टि से देखते हैं। फिर भी वे अपनी सरकार को किसी प्रकार के प्रम में नहीं रहने देते। उनका कहना है कि बेहात में मजदूरी की बर, जो अब भी बहुत कम है, पिछले २० वर्षों में ५०-६० प्रतिशत बढ़ गयी है और इस समय वह पीसतन ६ शिलिंग से ६ शिलिंग तक प्रति सप्ताह है। लेकिन इस दिखावटी बढ़ती के पीछे असल में मजदूरी का गिराव छिपा हुमा है, क्योंकि इस बीच जीवन- निर्वाह के प्रावश्यक साधनों के दामों में जो उभार पा गया है, उसके मुकाबले में मजदूरी बहुत कम बढ़ी है। इसके सबूत में नीचे की तालिका में पायरलेज के एक मुहताजलाने के सरकारी हिसाब का एक अंश देखिये: प्रति व्यक्ति मौसत साप्ताहिक सर्च वर्ष समाप्त होने की तारीख खाने-पीने की बस्तुओं और अन्य पावश्यक वस्तुओं पर कपड़ों पर कुल जोड़ २६ सितम्बर १८४६. • • • १शिलिंग ३-स ३ पॅस १ शिलिंग ६ पेस २९ सितम्बर १९६९. • • • २ शिलिंग ७.स पता ६ पेंस ३ शिलिंग १ } पस इसलिये, २० वर्ष पहले के मुकाबले में बीवन-निर्वाह के प्रावश्यक साधनों का बाम दुगुने से भी अधिक और कपड़ों का दाम ठीक-ठीक दुगुना हो गया है। इस व्यनुपात के अलावा भी, केवल नार मजदूरी की दरों की तुलना करने से भी एक ऐसा निष्कर्ष निकाला जा सकता है, जो पर्याप्त रूप से सही न हो। अकाल के पहले तिहर मजदूरों की मजबूरी स्यादातर जिन्स की शक्ल में दी जाती पी; केवल एक बहुत ही छोटा भाग नकदी में दिया जाता था। भाजकल नाव मवदूरी देने का नियम है। इससे यह निष्कर्ष 1 "Reports from the Poor Law Inspectors on the Wages of Agricultural Labourers in Dublin" ('ग्लीन में बेतिहर मजदूरों की मजदूरी के विषय में गरीबों के कानून के इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट'), Dublin, 18701- "Agricultural Labourers (Ireland). Return, etc." ['बेतिहर मजदूर (मायरमण्ड) विवरण, प्रावि'], 8 March, 1861, London, 1862, भी देखिये।