पूंजीवादी संचय का सामान्य नियम ७५१ कमीशन के सदस्य थे। उनकी रचना “Budgets economiques des classes onorteres de la Belgique (Bruxelles, 1855) को लीजिये। उसमें अन्य बातों के अलावा बेल्जियम के एक सामान्य मजदूर के परिवार से हमारी भेट होती है। लेखक ने बहुत सही तयों के पापार पर इस परिवार को वार्षिक प्राय और वर्ष का हिसाब लगाया है और फिर उसको मिलने वाले पोषण की क्रौनी सिपाही, नहानी मल्लाह और कैदी को मिलने वाले पोषण से तुलना की है। परिवार में कुल इतने लोग है-"बाप, मां और चार बच्चे"। इन ६ व्यक्तियों में से "चार ऐसे हैं, जो पूरे वर्ष उपयोगी काम कर सकते हैं।" लेखक यह मानकर चलता है कि "उनमें न तो कोई बीमार है और न कोई काम करने के अयोग्य है," और "गिरजाघर की सीटों के लिये उनको यो घोड़ा सा पैसा देना पड़ता है, उसके अतिरिक्त पार्मिक, नैतिक तथा बौद्धिक प्रयोजनों के लिये बरा भी बर्ष नहीं करते", न ही "किसी सेविंग बैंक में या किसी हितकारी समिति में" कुछ जमा करते है, और "भोग-विलास के लिये या अपव्ययिता के कारण भी कोई बर्चा नहीं करते।"हां, बाप और सबसे बड़ा बेटा तम्बाकू बकर पीते हैं और इतवार को शराबताने में जाते हैं। इस मर में हर सप्ताह ८६ सांतीम का वर्ष मान लिया जाता है। "विभिन्न व्यवसायों में मजदूरों को जो मजदूरी मिलती है, उसके प्रांकडे जमा करने पर पता चलता है कि दैनिक मजदूरी का सबसे ऊंचा मौसत पुरुषों के लिये १ फांक ५६ सांतीम बैठता है, स्त्रियों के लिये ८९ सांतीम, लड़कों के लिये ५६ सांतीम और लड़कियों के लिये ५५ सांतीम। इस प्राधार पर हिसाब लगाया जाये, तो पूरे परिवार की वार्षिक प्राय अधिक से अधिक १,०६८ फांक होगी...जिस परिवार को हम... अन्य सब परिवारों का प्रतिनिधि मानकर चल रहे हैं,.. उसकी प्रत्येक सम्भव प्राय को हमने बोड़ लिया है, परन्तु मां की मजबूरी बोड़ते समय हम यह सवाल उठाते हैं कि घर का संचालन कौन करेगा? घर की मन्वस्नी पर्व-व्यवस्था की देखभाल कौन करेगा? छोटे बच्चों को कौन संभालेगा? साना कौन पकायेगा, और कपड़े कौन बोयेगा और कौन उनकी मरम्मत करेगा? मजदूर हमेशा इस पेशोपेश में पड़े रहते हैं।" इस प्राधार पर परिवार का बजट इस प्रकार है: " 91 " 1 " " बाप ३०० दिन काम करके १.५६ फांक प्रति दिन की बर पर कमाता है ४६८ फांक मा 0.5€ कमाती है २६७ ०.५६ कमाता है १६८ ०.५५ 91 " N " 9 99 91 " 11 " 11 " " " कमाती है १६५ कुल बोड़ १०६८ फांक परिवार का वार्षिक पर्चा पाय से ज्यादा होता है। परिवार के लिये कितनी कमी रहेगी, यह इसपर निर्भर करता है कि मजदूर किस तरह का माना जाता है। जंगी बेड़े के मल्लाह के भोजन का बर्ष १५२८ फांक घाटा ७६.कांक फ्रांची सिपाही ४०५ 31 " " 99 "
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