५६८ पूंजीवादी उत्पादन अनुभाग १० -माधुनिक उद्योग और खेती माधुनिक उद्योग ने खेती में और खेतिहर उत्पादकों के सामाजिक सम्बंधों में वो कान्ति पैदा कर दी है, उसपर हम बाद में विचार करेंगे। इस स्थान पर हम पूर्वानुमान के रूप में कुछ परिणामों की मोर संकेत भर करेंगे। सेती में मशीनों के प्रयोग का मजदूरों के शरीरों पर फैक्टरी-मजदूरों के समान घातक प्रभाव नहीं होता, किन्तु, जैसा कि हम बाद में विस्तार से देखेंगे, मजदूरों का स्थान लेने में मशीनें यहाँ फैक्टरियों से ज्यादा तेजी दिलाती हैं और यहां इसका विरोष भी कम होता है। मिसाल के लिये, कैमिाज और सक्रोक की काउंटियों में खेती का रकबा पिछले २० वर्षे में (१८६८ तक) बहुत अधिक बढ़ गया है, पर इसी काल में . . दिन काम करने की इजाजत है। लड़के-लड़कियों तया स्त्रियों को ५ दिन १० घण्टे रोज़ और शनिवार को अधिक से अधिक ६ घण्टे काम करने की इजाजत है। (२) अन्य प्रकार की मिलों पर। इनके लिये बनाये गये कानूनों को नं. १ के लिये बनाये गये कानूनों के अधिक समान कर दिया गया है। फिर भी अनेक बातों में पूंजीपतियों को छूट दे दी गयी है, और कुछ खास परिस्थितियों में गृह मंत्रालय इस छूट के क्षेत्र को और बढ़ा सकता है। (३) उन वर्कशापों पर, जिनकी इस कानून में भी वही परिभाषा है, जो पुराने कानून में थी। जहां तक उनमें काम करने वाले बच्चों, लड़के-लड़कियों और स्त्रियों का सम्बंध है, वर्कशापों को लगभग उसी श्रेणी में रखा गया है, जिस श्रेणी में कपड़ा-मिलों के सिवा अन्य प्रकार की मिलें पाती हैं, लेकिन उनको भी कुछ बातों में विशेष छूट दे दी गयी है। (४) उन वर्कशापों पर, जिनमें बच्चे या लड़के-लड़कियां काम नहीं करतीं और जिनमें केवल १८ वर्ष से अधिक मायु के स्त्री-पुरुषों से ही काम लिया जाता है। उन्हें और भी अधिक सुविधाएं प्राप्त है। (५) घरेलू वर्कशापों (Domestic Workshops) पर, जिनमें केवल परिवार के सदस्य ही अपने घर पर बैठकर काम करते हैं। इनके लिये और भी ढीले नियम बनाये गये हैं और ऊपर से यह प्रतिबंध लगा दिया गया है कि जिन कमरों में काम करने के साथ-साथ मजदूर रहते भी है, उनमें कोई इंस्पेक्टर बिना मंत्री या जज की इजाजत के प्रवेश नहीं कर सकता । अन्तिम बात यह है कि सूखी घास की बुनी हुई वस्तुएं तैयार करने, लैस बनाने और दस्ताने बनाने के धंधों को पूरी प्राणादी दे दी गयी है। लेकिन इन तमाम खामियों के बावजूद, यह कानून पौर स्विस राज्य मण्डल का २३ मार्च १८७७ को पास किया गया फैक्टरी-कानून इस क्षेत्र के और सब कानूनों से कहीं बेहतर है। इन दो संहितामों की तुलना विशेष रूप से उपयोगी होगा, क्योंकि उससे यह स्पष्ट हो जायेगा कि कानून बनाने की इन दो मिन पद्धतियों के गुण- अवगुण क्या है। इनमें से इंगलैण्ड की “ऐतिहासिक" पद्धति है, जो जब-तब आवश्यक होने पर एक के बाद दूसरे मामले में हस्तक्षेप करती हुई बढ़ती है, और दूसरी योरपीय महाद्वीप की फ्रांसीसी क्रान्ति की परम्परामों पर प्राधारित पद्धति है, जो सामान्यीकरण का अधिक प्रयोग करती है। दुर्भाग्यवश इंगलैण्ड की नियमावली इंस्पेक्टरों की कमी के कारण वर्कशापों के सम्बंध में अभी तक प्रायः एक कागजी चीज ही बनी हुई है।-20 एं।] .
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