पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/५६४

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मशीनें और माधुनिक उद्योग ५६१ "" . 2 " लिये) उनकी (स्कूल के प्रमाण-पत्रों की मांग करना लाजिमी नहीं है ? कानून की निगाह में तो यह जरूरी है, लेकिन मैं नहीं जानता कि मालिक सचमुच ऐसे प्रमाण-पत्रों की मांग करते 'तब पापकी राय यह है कि प्रमाण-पत्र देखने के सम्बंध में कानून की धारा पर कोयला- सानों में पाम तौर पर अमल नहीं हो रहा।" "हां, इसपर अमल नहीं हो रहा है।" (नं. ४३, ml) 'क्या इस सवाल में (शिक्षा में) मजदूर बहुत अधिक दिलचस्पी लेते हैं ? "हाँ, स्यादातर मजदूरों को इस सवाल में बहुत दिलचस्पी है।" (नं. ७१७१) "क्या वे इसके लिये बहुत उत्सुक है कि इस कानून को अमल में लाया जाये ?" "हां, अधिकतर उत्सुक हैं।' (नं० ७१८।) "क्या आपके खयाल से इस देश में कोई भी कानून, जो पाप बनाते हैं... उस वक्त तक सचमुच अमल में पा सकता है, जब तक कि इस देश के लोग उसको अमल में लाने के काम में मदद नहीं करते?" "ऐसे बहुत से लोग हो सकते हैं, जो लड़कों से काम लेने का विरोष करना चाहते हों, पर ऐसा करने पर वे शायद उनकी प्रांतों में खटकने लगेंगे।" (नं. ७२०1) "किनकी प्रांतों में खटकने लगेगे?" "अपने मालिकों को प्रांखों में। (नं. ७२११) "क्या पापका यह खयाल है कि मालिक कानून का पालन करने वाले भावमी को दोषी समझेंगे..?" "मेरे खयाल में, वे जरूर उसको बोषी समझेंगे।"(नं० ७२२१) "क्या मापने किसी ऐसे, मजदूर का विक सुना है, जिसने १० और १२ वर्ष के बीच की उन्न के किसी ऐसे लड़के से, जो पढ़ना-लिखना न जानता हो, काम लेने पर एतराज किया हो?" "मजदूरों को ऐसा करने का अधिकार नहीं है।" (नं० १२३ ।) क्या आप चाहेंगे कि इस मामले में संसब हस्तक्षेप करे?" "मेरी राय में, अगर कोयला-सानों में काम करने वाले मजदूरों के बच्चों की शिक्षा के मामले में कोई कारगर चीज करनी है, तो संसद के बनाये हुए किसी कानून के जरिये शिक्षा अनिवार्य कर देनी होगी।" (नं० १६३४।) "केवल कोयला-मजदूरों के लिये ही माप ऐसी कानूनी बाध्यता चाहते हैं या ग्रेट बिटन के सभी मजदूरों के लिये?" "मैं तो कोयला-मजदूरों की तरफ से बोलने के लिये यहाँ पाया हूं।" (नं० १६३६१) 'कोयला-सानों में काम करने वाले लड़कों और अन्य लड़कों में पाप भेद क्यों करते हैं?" 'इसलिये कि मेरी राय में कोयला-सानों में काम करने वाले लड़के औरों से भिन्न है।" (नं. १६३८ ।) "किस दृष्टि से?" "शारीरिक दृष्टि से।" (नं० १६३९ ।) "अन्य प्रकार के लड़कों की अपेक्षा उनके लिये शिक्षा क्यों अधिक महत्वपूर्ण है?" "यह तो मैं नहीं जानता कि उनके लिये शिक्षा का अधिक महत्व है, लेकिन सानों के अन्दर अत्यधिक मेहनत करने के कारण वहां नौकरी करने वाले लड़कों को रविवारीय स्कूलों में, या दिन के स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करने का कम मौका मिलता है।" (नं० १९४०।) “पर इस उंग के सवाल पर उसे और सब चीजों से अलग करके विचार करना तो असम्भव है न?" (नं० १६४1) "क्या स्कूल संख्या में काफी "नहीं.. (नं० १६४६।) "यदि राज्य हर बच्चे को स्कूल भेजना अनिवार्य बना रे, तो क्या बच्चों के लिये स्कूल काक्री होंगे?" "नहीं, लेकिन मेरा खपाल है कि अगर प्रावश्यक परिस्थितियां पैदा हो जायें, तो स्कूल भी खुल जायेंगे।" (नं० १६४७1) "मैं समझता हूं कि उनमें से कुछ (लड़के) तो बिल्कुल पढ़-लिख नहीं सकते?" "उनमें से अधिकतर नहीं पर लिल सकते...पुर बयस्क मजदूरों में से भी अधिकतर पढ़ना-लिखना नहीं मानते।" (नं. ७०५, ७२५) ३) लिवों को नौकर रखना-१४२ के बाद से पामीन की सतह के नीचे स्लियों से काम लेना बन्द हो गया है, लेकिन समीन की सतह पर उनसे कोयना सादने, बों को बीचकर 91 है?" . . 36-45