५३८ पूंजीवादी उत्पादन . . के जिसपर हम अपनी पहली रिपोर्ट में विचार कर चुके हैं। इस बंधे के प्रमुख कारखानदारों का कहना था कि जिस तरह की सामग्री इस्तेमाल करते हैं और जिन विविध प्रकार की क्रियामों का उपयोग करते हैं, उनके कारण वे भारी नुकसान उठाये बिना किसी एक निश्चित समय पर भोजन की छुट्टी के लिये काम को बीच में नहीं रोक सकते। परन्तु गवाहियां लेने पर पता चला कि यदि प्रावश्यक सतर्कता बरती जाये और पहले से सब प्रबंध कर लिया जाये, तो जिस कठिनाई कार है, उसे दूर किया जा सकता है। और पुनांचे संसद के वर्तमान अधिवेशन में Factory Acts Extension Act (क्टरी-कानूनों के विस्तार का कानून) पास कर दिया गया, जिसकी छठी धाराको उपधारा के अनुसार इन कारखानेवारों को सूचित कर दिया गया है कि इस कानून पास हो जाने के प्रारह महीने के अन्दर उनको फेक्टरी-कानूनों के मुताबिक भोजन की छुट्टी का समय निश्चित कर देना होगा।" कानून पास हुमा होचा कि हमारे मित्र कारखानेदारों को यह पता चला "हस्तनिर्माण की हमारी शाला पर फैक्टरी-कानूनों के लागू होने से हमें गिन प्रसुविधामों के पैदा होने का रवा, बे,- मुझे यह कहते हुए खुशी होती है,-पैवा नहीं हुई। उत्पादन में सरा भी रुकावट नहीं पड़ी; संक्षेप में, हम उतने ही समय में पहले से ज्यादा उत्पादन करने लगे हैं।"" स्पष्ट है कि इंगलडकी धारा-सभा, जिसपर कोई भी यह पारोप लगाने का दुस्साहस नहीं करेगा कि उसमें प्रतिमा का प्रतिरेक है, अपने अनुभव से इस नतीजे पर पहुंच गयी है कि काम के दिन पर नियंत्रण लगाने और उसका नियमन करने के रास्ते में खूब उत्पादन प्रक्रिया के स्वस्म से पैदा होने वाली जितनी तवाकषित बापामों का रोना रोया जाता है, उन सब को दूर कर देने के लिये एक सरल सा कानून, जिसको मानना सब के लिये परी हो, पर्याप्त होता है। इसलिये बब किसी खास उद्योग पर फैक्टरी-कानून लागू किया जाता है, तब उसके लिये छ: महीने से मारह महीने तक की एक ऐसी अवधि नियत कर दी जाती है, जिसमें कारखानेदारों को उन तमाम प्राविधिक बाबानों को हटा देना पड़ता है, जिनसे कानून के अमल में माने रुकावट पड़ सकती है। मिराबो की बह प्रसिद्ध उक्ति : "Impossiblet ne me dites Jamals ce bete de mot!" ("प्रसम्भव! इस मूर्खतापूर्ण शब्द का मेरे सामने कभी व्यवहार मत करना!")-माधुनिक प्रौद्योगिकी पर खास तौर पर लागू होती है। परन्तु ये फैक्टरी- कानून हालांकि उन भौतिक तत्वों को बनावटी ढंग से परिपक्व कर देते है, जो हस्तनिर्माण- व्यवस्था के फ्रेक्टरी-व्यवस्था में पान्तरित हो जाने के लिये प्रावश्यक होते हैं, फिर भी कि उनको बजह से पहले से ज्यादा पूंजी लगाना मावश्यक हो जाता है, इसलिये इसके साथ-साथ छोटे-छोटे मालिकों के पतन तवा पूंजी के संकेनाम की क्रिया में भी तेवी मा जाती है।' , - 311 1 "Ch. Empl. Comm., II. Rep., 1864" ('बाल-सेवायोजन कमीशन की दूसरी रिपोर्ट, १९६४'), पृ. IX (नौ), अंक ५०। . "Rep. of Insp. of Fact., 31st Oct., 1865" ('फैक्टरी-इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट, ३१ अक्तूबर १९६५'), पृ. २२ । 'परन्तु यह ध्यान में रखना चाहिये कि यद्यपि ये सुधार कुछ प्रतिष्ठानों में पूरी तौर पर कार्यान्वित हो चुके हैं, तथापि वे सब जगह नहीं पाये जाते ; और पुरानी हस्तनिर्माणशालाओं में से बहुत सी ऐसी है, जिनमें ये सुधार उस वक्त तक अमल में नहीं लाये जा सकते , जब तक कि इतना बर्चा न किया जाये, जो इन हस्तनिर्माणशालामों के मौजूदा मालिकों में से बहुतों के बूते के बाहर है।" सब-इंस्पेक्टर मे ने लिखा है : “इस प्रकार के कानून के लागू होने पर (जैसा .
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