मशीनें और माधुनिक उद्योग ५३५ . में, इस प्रकार की अन्य तमाम कान्तियों के समान इस क्रान्ति में भी मनुष्य के स्थान पर भाप के इंजन का प्रयोग पुरानी व्यवस्था को अन्तिम रूप से खतम कर देता है। शुरू में भाप की शक्ति के उपयोग के रास्ते में केवल प्राविधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि मशीनों में स्थिरता का प्रभाव होता है, उनकी चाल पर नियंत्रण रखना कठिन होता है, स्यावा हल्की मशीनें बहुत जल्दी घिस जाती है, इत्यादि। इन तमाम कठिनाइयों को अनुभव द्वारा बहुत जल्द दूर कर दिया जाता है। यदि, एक पोर, बड़ी-बड़ी हस्तनिर्मागशालामों में बहुत सी मशीनों के केन्द्रीकरण से भाप की शक्ति के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलता है, तो, दूसरी ओर, मानव-मांस-पेशियों के साथ भाप की दो प्रतियोगिता चलती है, उससे बड़ी-बड़ी फैक्टरियों में मजदूरों और मशीनों के केनीकरण में तेजी आ जाती है। इस प्रकार, इंगलैग इस वक्त न केवल पहनने की पोशाकों के विराट उद्योग में, बल्कि अपर जिन उद्योगों का विक किया गया है, उनमें से अधिकतर में हस्तनिर्माण, बस्तकारियों और घरेलू काम के फैक्टरी-व्यवस्था में बदल जाने की क्रिया सम्पन्न हो रही है। और इसके बहुत पहले ही उत्पादन के इन तीनों रूपों में से प्रत्येक, माधुनिक उद्योग के प्रभाव से पूर्णतया परिवर्तित एवं प्रसंगठित होकर, फेक्टरी-व्यवस्था की तमाम विभीषिकामों का पुनरुत्पादन कर चुका है और यहां तक कि फैक्टरी-व्यवस्था से भी अधिक उप रूप में उसके तमाम अवगुणों को पैदा कर चुका है, हालांकि फ़ैक्टरी-व्यवस्था में सामाजिक प्रगति के बो तत्व निहित होते हैं, उनमें से कोई इन पों में नहीं दिखाई दिया है।' यह पोचोगिक क्रान्ति स्वयंस्फूर्त ढंग से होती है, पर फेक्टरी-कानूनों को उन तमाम उद्योगों पर लागू करके, जिन में स्त्रियों, लड़के-लड़कियों और बच्चों को नौकर रखा जाता है, इस क्रांति को बनावटी ढंग से भी प्रागे बढ़ाया जाता है। जब काम के दिन की लम्बाई, विराम के समय और काम के प्रारम्भ और समाप्त होने के समय का अनिवार्य रूप से नियमन होने लगता है, बच्चों की पालियों की प्रणाली पर नियंत्रण लग जाता है और एक निश्चित प्रायु से कम के बच्चों को नौकर रखने की मनाही हो जाती है, इत्यादि इत्यादि, तब एक तरफ तो पहले . . 'उदाहरण देखिये : पिमलिको (लन्दन) की फ़ौजी पोशाकों की फैक्टरी, लण्डनडरी में टिल्ली एंड हेण्डरसन की कमीजों की फैक्टरी और लिमेरिक में मैसर्स टेट की कपड़ों की फैक्टरी, जिसमें लगभग १,२०० मजदूर काम करते हैं। 3 "फैक्टरी-व्यवस्था की मोर प्रवृत्ति" (उप० पु०, पृ० LXVII (सड़सठ) )। इस वक्त पूरा धंधा संक्रमण की अवस्था से गुजर रहा है, और उसमें वही परिवर्तन हो रहा है, जो लैस के धंधे में और बुनाई प्रादि में हो चुका है" (उप० पु., अंक ४०५)। “एक पूर्ण क्रान्ति" (उप० पु०, पृ० XLVI [छियालीस], नोट ३१८) । जिस समय १८४० का Child. Empl. Comm. (बाल-सेवायोजन पायोग) काम कर रहा था, उस समय तक मोजे बनाने का काम हाप से ही किया जाता था। १८४६ के बाद से तरह-तरह की मशीनें इस्तेमाल होने लगी हैं, जो पाजकल भाप से चलायी जाती है। इंगलैण्ड में मोजे बनाने का काम करने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या, जिसमें स्त्री और पुरुष दोनों तथा ३ वर्ष से ऊपर सभी उम्रों के लोग शामिल थे, १८६२ में १,२९,००० थी। ११ फ़रवरी १८६२ के Parliamentary Return (संसदीय विवरण) के अनुसार इनमें से केवल ४,०६३ फैक्टरी-कानूनों के मातहत काम कर रहे थे।
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