५० पूंजीवादी उत्पादन बह नाना प्रकार से उपयोग में पा सकती है। वस्तुओं के विभिन्न उपयोगों का पता लगाना इतिहास का काम है। इसी प्रकार इन उपयोगी वस्तुओं के परिमानों के सामाजिक दृष्टि से मान्य मापदण्डों की स्थापना करना भी इतिहास का ही काम है। इन मापदण्यों की विविधता का मूल प्रांशिक रूप से तो इस बात में है कि मापी जाने वाली वस्तुएं नाना प्रकार की होती है, और मांशिक प से उसका मूल रीति-रिवाजों में निहित है। किसी वस्तु की उपयोगिता उसे उपयोग-मूल्य प्रदान करती है। लेकिन यह उपयोगिता कोई हवाई बीच नहीं होती। वह चूंकि माल के भौतिक गुणों से सीमित होती है, इसलिए माल से अलग उसका कोई मस्तित्व नहीं होता। इसलिए कोई भी माल, जैसे लोहा, मनान या होरा, वहां तक वह एक भौतिक वस्तु है, वहां तक वह उपयोग-मूल्य यानी उपयोगी वस्तु होता है। माल का यह गुण इस बात से स्वतंत्र है कि उसके उपयोगी गुणों से लाभ उठाने के लिए कितने भम की पावश्यकता होती है। जब हम उपयोग-मूल्य की चर्चा करते हैं, तब हम सबा यह मानकर चलते हैं कि हम निश्चित परिमाणों की चर्चा कर रहे हैं, जैसे इतनी वर्जन घड़ियां, इतने गा कपड़ा या इतने टन लोहा। मालों के उपयोग-मूल्यों का अलग से अध्ययन किया बाता है, यह मालों के व्यापारिक मान का विषय है। उपयोग-मूल्य केवल उपयोग अथवा उपभोग के द्वारा ही वास्तविकता प्राप्त करते हैं, और धन का सामाजिक रूप चाहे जैसा हो, उसका सार-तत्व भी सबा ये उपयोग मूल्य ही होते हैं। इसके अलावा, समाज के जिस प पर हम विचार करने वाले हैं, उसमें उपयोग-मूल्य विनिमय-मूल्य के भौतिक भण्डार भी होते हैं। पहली दृष्टि में विनिमय-मूल्य एक परिमाणात्मक सम्बंध के रूप में यानी उस अनुपात के . 1"सभी चीजों का अपना एक स्वाभाविक गुण (उपयोग-मूल्य के लिए बार्बोन ने इस विशेष नाम- vertue- का प्रयोग किया है) होता है। वह गुण सभी स्थानों में जैसा रहता है, जैसे कि मकनातीस के पत्थर में लोहे को अपनी ओर खींचने का स्वाभाविक गुण" (उप० पु०, पृ. ६)। चुम्बक पत्थर में लोहे को अपनी ओर खींचने का जो गुण होता है; वह केवल उसी समय उपयोग में पाया, जब पहले इस गुण के द्वारा चुम्बक के ध्रुवत्त्व की खोज हो गयी। ३"किसी भी चीज की स्वाभाविक कीमत इस बात में होती है कि उसमें मानव-जीवन की मावश्यकताओं की पूर्ति करने या उसकी सुविधामों के हेतु काम पाने की कितनी योग्यता है।" (John Locke, “Some Considerations on the Consequences of the Lowering of Interest, 1691," [जान लॉक, 'सूद को कम करने के परिणामों पर कुछ विचार, १६९१'],- “Works", १७७७ में लन्दन में प्रकाशित, खण्ड २, पृ० २८1) १७ वीं सदी के अंग्रेजी लेखकों की रचनामों में हम अक्सर उपयोग-मूल्य के अर्थ में “Worth" शब्द का और विनिमय-मूल्य के प्रर्य में "value" शब्द का प्रयोग पाते है। यह उस भाषा की भावना के सर्वथा अनुरूप है, जिसको वास्तविक वस्तु के लिए कोई ट्यूटोनिक (जर्मन भाषाओं के) शब्द और उसके प्रतिविम्ब के लिए रोमांस भाषामों के शब्द का इस्तेमाल पसन्द है। 'पूंजीवादी समाज व्यवस्थामों के मार्षिक क्षेत्र में इस fictio juris (कानूनी सुत्र) को प्राधार मानकर चला जाता है कि खरीदार के रूप में हरेक के पास मालों का चौमुखी और बृहत् ज्ञान होता है। .
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