पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/५०८

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मशीनें और माधुनिक उद्योग कपड़ा-मिलों और खानों में काम करने वाले सभी व्यक्तियों की संख्या कुल मिलाकर १२,०८,४२ होती है। कपड़ा-मिलों और धातु के उद्योगों में काम करने वाले सभी व्यक्तियों की कुल संख्या १०,३६,६०५ बैठती है। दोनों संख्याएं माधुनिक काल के घरेलू बास-वासियों की संख्या से कम है। मशीनों के पूंजीवादी उपयोग का फैसा शानदार परिणाम है यह ! अनुभाग ७-फैक्टरी-व्यवस्था द्वारा मजदूरों का प्रतिकर्षण और आकर्षण। - सूती उद्योग में संकट . वे सभी प्रशास्त्री , जिनका घोड़ा सा भी नाम है, यह बात स्वीकार करते हैं कि नयी मशीनों का इस्तेमाल होने से उन पुरानी बस्तकारियों पर हस्तनिर्माणों के मजदूरों पर बहुत घातक प्रभाव पड़ता है, जिनसे ये मशीनें शुरू-शुरू में प्रतियोगिता करती हैं। लगभग सभी पर्यशास्त्री फैक्टरी मजदूर की दासता पर कुल प्रकट करते हैं। और फिर ये कौनसी बड़ी चाल चलते हैं? यह कि जब मशीनों के प्रयोग के प्रारम्भिक काल की और उनके विकास-काल की विभीषिकाएं कुछ मंद पड़ जाती है, तब भम के बालों की संख्या घटने के बजाय पन्त में बढ़ जाती है। जी हां, पर्षशास्त्र इसी वीभत्स सिद्धान्त पर, जो ऐसे प्रत्येक "परोपकारी" को बीभत्स प्रतीत होता है, जो पूंजीवादी उत्पादन की प्रकृति-विरचित शाश्वत मावश्यकता में विश्वास करता है,-प्रशास्त्र इसी सिद्धान्त पर बेहद खुश है कि मशीनों पर पाषारित क्रैक्टरी- व्यवस्था शुरू में जितने मजदूरों को बेकार बनाकर सड़कों पर फेंकती है, वह विकास और परिवर्तन के एक काल के बाद, अपने चरमोत्कर्ष के समय , उससे अधिक मजदूरों को पीसती है।' . . संख्या २,६६४ थी। १८६९ तक वह ४,९२१ पर पहुंच गयी। लन्दन के निम्न-मध्य वर्ग के घरों में जो नौजवान लड़कियां नौकरानियों का काम करती है, उनको पाम बोलचाल की भाषा में "slaveys" (या "दासियां") कहा जाता है। गानिल्ह ने, इसके विपरीत, फैक्टरी-व्यवस्था का अन्तिम परिणाम यह समझा था कि मजदूरों की संख्या में निरपेक्षतः कमी आ जाती है और उसके एवज में "gens honnetes" ("भले लोगों") की संख्या बढ़ जाती है, जो अपनी सुप्रसिद्ध "perfectibilité perfectible" ("विकासशील विकासशीलता") का विकास करते रहते है। गानिल्ह उत्पादन की गति को तो बहुत कम समझ पाये है, पर कम से कम वह इतना जरूर महसूस करते है कि यदि मशीनों के इस्तेमाल से काम-धंधे में लगे मजदूर कंगाल बन जाते है और यदि मशीनों के विकास से जितने मजदूरों की रोटी छिनी है, उससे अधिक श्रम के पास पैदा हो जाते हैं, तो मशीनें अवश्य ही बहुत घातक किस्म की चीजें होंगी। गानिल्ह के दृष्टिकोण की बेहूदगी को खोलकर रखने का इसके सिवाय और कोई तरीका नहीं है कि खुद उन्हीं के शब्दों को उद्धृत कर ferent arh: "Les classes condamnées à produire et à consommer diminuent, et les classes qui dirigent le travail, qui soulagent, consolent, et éclairent toute la population, se multiplient ... et s'approprient tous les bienfaits qui résultent. de la diminution des frais du travail, de l'abondance des productions, et du