पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४७७

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४७४ पूंजीवादी उत्पादन . . . , . . मनुष्यों की संख्या में वृद्धि कर देती है, वो पूंजीवादी शोषन की सामग्री बन जाते हैं। वे किस तरह मम के पन्नों को अनुचित ढंग से बढ़ाकर मजदूर के उस सारे समय को हड़प जाती है, जिसे वह बेच सकता है। और, अन्त में, मशीनों की उन्नति, जिसके कारण अधिकाधिक कम समय में उत्पादन में भारी वृद्धि कर देना सम्भव होता है, किस प्रकार मर से विधिपूर्वक अपेक्षाकृत कम समय में अधिक काम कराने -या बम-शक्ति का अधिक तीव शोषण करने-का साधन बन जाती है। यहां हम पूरी की पूरी फैक्टरी और उसके सबसे अधिक विकसित रूप पर विचार करेंगे। स्वचालित जैक्टरी का यशगान करने वाले गरे ने उसका, एक मोर, इस तरह वर्णन किया है कि फैक्टरी "वयस्क और कम-उन्न अनेक प्रकार के मजदूरों की संयुक्त सहकारिता होती है, जो बड़ी तत्पर निपुणता के साथ उत्पादक मशीनों की एक ऐसी संहति की देखरेख करते हैं, जिसको एक केन्द्रीय शक्ति (मूल चालक) "लगातार चलाती रहती है"; और, दूसरी मोर, उन्होंने कहा है कि फ्रेक्टरी 'एक विशाल स्वचालित यंत्र है, जो विभिन्न यांत्रिक और बौद्धिक अवयवों का बना हुमा होता है, जो किसी एक वस्तु को तैयार करने के उद्देश्य से एक दूसरे के निरन्तर सहयोग में काम करते हैं और जो सब के सब एक स्वनियमित चालक शक्ति के प्राचीन रहते हैं।"ये दो वर्णन कदापि एक से नहीं हैं। एक में सामूहिक मजदूर, या श्रम का सामाजिक निकाय, प्रभावशाली कर्ता के रूप में सामने प्राता है और स्वचालित यंत्र की स्थिति केवल कर्म की होती है। दूसरे में स्वचालित यंत्र स्वयं कर्ता है और मजबूर उसके सचेतन अवयव मात्र है, जो उसके प्रचेतन अवयवों के साथ समन्वित होते हैं और वो भवेतन अवयवों के साथ-साथ केनीय बालक शक्ति के अधीन होते हैं। पहला वर्णन बड़े पैमाने के मशीनों के प्रत्येक सम्भव उपयोग पर लागू होता है। दूसरा विशेष रूप से पूंनी द्वारा मशीनों के उपयोग पर और इसलिये माधुनिक फैक्टरी-व्यवस्था पर लागू होता है। इसीलिये उरे उस केन्द्रीय मशीन को, जिससे गति प्राप्त होती है, केवल एक स्वचालित यंत्र ही नहीं, बल्कि एक निरंकुश शासक भी कहना पसन्द करते हैं। उन्होंने लिखा है: "इन लम्बे- चौड़े हालों में भाप की बयालु शक्ति खुशी-खुशी काम करने वाले अपने पसंख्य नौकरों से काम लेती है। पोबार के साथ-साथ प्रौजार से काम लेने की महबूर की निपुणता भी मशीन के पास पहुंच जाती है। प्राचार की समतामों को उन बंधनों से मुक्त कर दिया जाता है, जो मानव- श्रम-शक्ति के साप पभिन्न पसे पड़ी हुई है। इस प्रकार वह प्राविधिक प्राधार नष्ट हो जाता है, जिसकी नींव पर हस्तनिर्माण में भम-विभाजन हुमा चा। पुनधि, विशिष्टीकृत मजदूरों के उस पर-सोपान के स्थान पर, जो हस्तनिर्माण की विशेषता है, स्वचालित पटरी में मशीनों की देखरेख करनेवाले मजदूरों के प्रत्येक काम को बस एक ही स्तर पर पहुंचा देने की प्रवृत्ति काम करती है, और तफसीली काम करने वाले मजदूरों के बीच बनावटी रंग से पैरा किये गये भेवों का स्थान पायु मोर लिंग के प्राकृतिक भेद ले लेते हैं। पटरी में किस हद तक सम-विमानन पुनः प्रकट होता, उस तक उसका मूलतबा 1 . 1Ure, उप० पु., पृ० १८। 'Ure, उप. पु., पृ० ३१। देखिये Karl Marx, "Misere de la Philoso- phie" (कार्ल मार्क्स, 'दर्शन की वरिखता'), Paris, 1847, पृ०.१४०-४१।