४६८ पूंजीवादी उत्पादन . सकती है, इसलिये ग्यारह घण्टे में बारह घण्टे के बराबर पैदावार तैयार करना सम्भव न होगा। इसके अलावा, मैंने यह भी खुद ही मान लिया कि जिस मजदूर को कार्यानुसार मजदूरी मिलती है, , वह ज्यादा से प्यावा बोर लगाकर काम करेगा, बशर्ते कि उसमें लगातार इसी रफ्तार से काम करने की शक्ति हो। प्रतएव, होर्नर इस परिणाम पर पहुंचे कि यदि काम के घण्टों को बारह से कम किया जायेगा, तो उत्पादन अनिवार्य स्म से घट जायेगा। इसके बस वर्ष बाद उन्होंने १८४५ के अपने मत का हवाला देते हुए बताया कि उस वर्ष उन्होंने मशीनों की पौर मनुष्य की मम शक्ति की प्रत्यास्थता को कितना कम करके गांका था, हालांकि असल में काम के दिन को अनिवार्य रूप से छोटा करके इन दोनों को एक साथ उनकी परम सीमा तक नीचा जाता है। अब हम उस काल पर पाते हैं, जो १८४७ में इंगलेश की प्रती, ऊनी, रेशमी और पटसन की मिलों में बस घन्टे का कानून लागू हो जाने के बाद पारम्भ हमा। 'तकुओं की रफ्तार में प्रोसलों में ५०० और म्यूलों में १,००० परिणमण प्रति मिनट की वृद्धि हो गयी है, अर्थात् जोसल-सकुए की रफ्तार, बो १८३६ में ४,५०० बार प्रति मिनट पी, प्रब (१८६२ में) ५,००० बार प्रति मिनट हो गयी है, और म्यूल-सकुए की रफ्तार, जो पहले ५,००० बी, अब ६,००० बार प्रति मिनट हो गयी है। इस तरह पोसल-तकुए की और म्यूल-सकुए की रफ्तार में की वृद्धि हो गयी है। मानचेस्टर के नववीक पैदिकोषट के प्रसिद्ध सिविल इंजीनियर बेम्स नावमिव ने १८५२ में लेयोनार होनर को एक खत लिखकर यह समझाया था कि १४८ और १८५२ के बीच भाप के इंजन में किस प्रकार के सुधार हो गये थे। यह बताने के बाद कि भाप के इंजनों की प्रश्व-शक्ति का सरकारी कागजों में सवा १८२८ के इसी प्रकार के इंजनों की प्रश्व-शक्ति के प्राचार पर अनुमान लगाया जाता है और इसलिये वह केवल नाम-मात्र की मशा-शक्ति होती है और उनकी . . . १ . 1 "Rep. of Insp. of Fact. for Quarter ending 30th September, 1844, and from 1st October, 1844 to 30th April, 1845" ("३० सितम्बर १४ को समाप्त होने वाले विमास मोर १ अक्तूबर १८४४ से ३० अप्रैल १८४५ तक की फैक्टरी-इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट'), पृ० २०। उप० पु., पृ० २२। "Rep. of Insp. of Fact. for 31st October, 1862" ("Spet-fritt रिपोर्ट, ३१ अक्तूबर १८६२'), पृ० ६२। १८६२ के “Parliamentary Return" ('संसदीय विवरण') में यह चीज बदल दी गयी थी। उसमें प्राधुनिक भाप के इंजनों और पन-चक्कियों की नाम-मान की अश्व- शक्ति के स्थान पर उनकी वास्तविक अश्व-शक्ति दी गयी थी। इसके अलावा, अब गुणन करने वाले तकुमों को कताई करने वाले तकुमों में नहीं शामिल किया जाता (जैसा कि १८३६, १८५० और १८५६ के “Returns" ("विवरणों') में किया गया था); इसके अलावा, ऊनी मिलों के विवरण में "gigs" (रोएं उठाने वाली मशीनें) भी जोड़ दी गयी हैं; एक तरफ़ पाट और सन की मिलों में और दूसरी तरफ़ फ्लैक्स की मिलों में भेद किया गया है; और अन्तिम बात यह कि रिपोर्ट में मोजों की बुनाई को पहली बार शामिल किया गया है। 4
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