पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४२९

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४२६ पूंजीवादी उत्पादन , शान्ति का प्रारम्भ नहीं हुमाया। इसके विपरीत, मशीनों के माविष्कार के कारण भाप के इंजनों के रूप में कान्ति होना मावस्यक हो गया था। जिस सब मनुष्य अपने मन की विषय- बस्तु पर किसी प्राचार के बरिये काम करने के बजाय किसी प्राचारमशीन की चालक शक्ति बन जाता है, बस उसी मन से बालक शक्ति का मनुष्य की मांसपेशियों के रूप में होना महब एक संयोग हो जाता है। उतनी ही मासानी से बह हवा, पानी या भाप का प भी पारण कर सकती है। पर, बाहिर है, ऐसा होने पर उस यंत्र में, मो शुरू में केवल मनुष्य के द्वारा चलाये जाने के लिये बनाया गया था, बहुत बड़ी प्राविधिक तबदीलियां हो पाती हैं। पानकल ऐसी सभी मशीनें, जिनका प्रचार होना पनी बाकी है, जैसे सीने की मशीनें या बल रोटी बनाने की मशीनें मावि, जब तक कि उनके स्वरूप के कारण ही छोटे पैमाने पर उनका उपयोग असम्भव न हो, इस तरह बनायी जाती है कि वे मानव चालक शक्ति और विशुद्ध यांत्रिक चालक शक्ति दोनों के द्वारा चलायी जा सकें। प्रौद्योगिक क्रान्ति का श्रीगणेश करने वाली मशीन अकेले एक पौवार से काम करने वाले मजदूर के स्थान पर एक ऐसा यंत्र स्थापित कर देती है, वो इसी प्रकार के कई प्राचारों से एक साथ काम करता है और वो केवल एक चालक शक्ति द्वारा ही गति में लाया जाता है, उस शक्ति का म चाहे कुछ भी हो।' यह मशीन तो होती है, पर अभी यह मशीनों से होने वाले उत्पादन का केवल एक प्राथमिक तत्व ही होती है। मशीन के प्राकार में तवा वह जिन प्राचारों से काम करती है, उनकी संख्या में वृद्धि हो जाने पर उसे चलाने के लिये पहले से अधिक भारी-भरकम यंत्र की आवश्यकता होती है, और इस मंत्र के लिये, उसके प्रतिरोध पर काबू पाने के वास्ते, मनुष्य से अधिक बलवान चालक शक्ति की बरत होती है। इसके अलावा, यह बात तो है ही कि समस्म निरन्तर गति पैदा करने के लिये मनुष्य बहुत अच्छा साधन नहीं है। मगर मान लीजिये कि मनुष्य केवल एक मोटर के रूप में काम कर रहा है और उसके प्राचार का स्थान किसी मशीन में ले लिया है। ऐसी हालत में बाहिर है कि उसका स्थान प्राकृतिक शक्तियां ले सकती हैं। हस्तनिर्माण के काल से जितनी चालक पाक्तियां विरासत में मिली थी, उनमें प्रश्व-शक्ति सबसे बराब पी। कुछ हम तक तो इसलिये कि प्रश्न कार अपना भी एक मस्तिष्क होता है, और कुछ हद तक इसलिये कि वह बहुत महंगा होता है और कारखानों में बहुत सीमित पैमाने पर ही उसका उपयोग किया जा सकता है। फिर भी माधुनिक उद्योग के बाल्प-काल में घोड़े का . 1"इन तमाम सरल पोषारों का योग जब किसी एक मोटर द्वारा हरकत में लाया जाता है, तो वह मशीन बन जाता है।" (Babbage, उप. पु. [पृ. १३६])। 'जनवरी १८६१ में जान सी० मोर्टन ने Society of Arts (धंधों की परिषद) के सामने "खेती में इस्तेमाल होने वाली शक्तियों" के विषय में एक निबंध पड़ा था। उसमें उन्होंने कहा है : "हर ऐसे सुधार के फलस्वरूप, जिससे पमीन की समरूपता बढ़ती है, भाप का इंजन विशुख यांत्रिक शक्ति के उत्पादन में अधिकाधिक इस्तेमाल होने लगता है अश्व-शक्ति वहां पावश्यक होती है, जहां कहीं टेढ़ी-मेढ़ी मेंड़ों तथा अन्य रुकावटों के कारण समस्प कार्य में बाधा पड़ती है। इस तरह की रुकावटें दिन-ब-दिन मिटती जा रही है। ऐसे कार्यों में, जिनमें वास्तविक बल की अपेक्षा इच्छा-शक्ति के उपयोग की अधिक आवश्यकता होती है, एकमात्र वही शक्ति इस्तेमाल हो सकती है, जिसपर प्रत्येक क्षण मानव-मस्तिष्क का नियंत्रण