४०२ पूंजीवादी उत्पादन करने वाले सभी मजदूरों की संयुक्त पैरावार ही माल होती है। समाज में मन-विभाजन उद्योग की अलग-अलग शाखामों की पैदावार की खरीद और विकी के फलस्वरम शुरू होता है, जब कि एक पाप के भीतर तरह-तरह के तफसीली कामों के बीच पाया जाने वाला सम्बंध इस कारण होता है कि कई मजदूरों ने अपनी मम-पाक्ति एक पूंजीपति के हाप बेच दी है, जो उसका एक संयुक्त मन-शक्ति के रूप में प्रयोग कर रहा है। वर्कशाप के भीतर अम-विभाजन का मतलब यह होता है कि उत्पादन के साधनों का एक पूंजीपति के हाथों में केन्द्रीकरण हो गया है। समाज में सम-विमानन का मतलब यह होता है कि उत्पादन के साधन मालों के बहुत से स्वतंत्र उत्पादकों के बीच विसर गये हैं। वहां वर्कशाप के भीतर सानुपातितता का लौह नियम मजदूरों की एक निश्चित संख्या को कुछ निश्चित कामों के प्राचीन बना देता है, वहां वर्कशाप के बाहर, समान में, उत्पादकों तथा उनके उत्पादन के साधनों को उद्योग की विभिन्न शाखामों के बीच बांटने के मामले में संयोग और मनमानी का राज रहता है। यह सब है कि उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों में निरन्तर एक संतुलन पर पहुंचने की प्रवृत्ति होती है। कारण कि एक मोर तो वहां किसी भी माल के प्रत्येक उत्पादक को किसी सामाजिक पावश्यकता को पूरा करने के लिए कोई उपयोग मूल्य पैरा करना पड़ता है, और इन पावश्यकताओं के विस्तार में परिमाणात्मक दृष्टि से अन्तर होते हुए भी उनके बीच एक अन्वनी सम्बंध होता है, जो उनके अनुपातों को एक नियमित व्यवस्था का रूप दे देता है, तथा यह व्यवस्था - प्रत्येक भाग का चूंकि अपने में कोई मूल्य अथवा उपयोगिता नहीं होती, इसलिए ऐसी कोई चीज नहीं होती, जिसे पकड़कर मजदूर यह कह सके कि "यह मेरी पैदावार है, इसे मैं अपने पास रचूंगा।" ("Labour Defended against the Claims of Capital" [' पूंजी के दावों के मुकाबले में श्रम का समर्थन'], London, 1825, पृ. २५।) इस प्रशंसनीय रचना के लेखक टोमस होजस्किन है। मैं उनको पहले भी उब्त कर चुका हूं। समाज में पौर हस्तनिर्माण में पाये जाने वाले श्रम-विभाजन का यह भेद व्यावहारिक रूप में यांकियों के सामने प्रकट हुमा पा। गृह-युद्ध के काल में वाशिंग्टन में जिन नये करों को सोचकर निकाला गया था, उनमें से एक "सभी प्रायोगिक पैदावारों पर लगने वाली ६ प्रतिशत की चुंगी थी। सवाल पैदा हुमा कि प्रौद्योगिक पैदावार क्या है ? विधान सभा ने जवाब दिया : पैदा चीज तब होती है, "जब वह बनायी जाती है" ("when it is made"), पौर चीज बनती उस वक्त है, जब वह विक्री के लिए तैयार हो जाती है। प्रब बहुत सी मिसालों में से एक को लीजिये। इसके पहले न्यूयार्क और फिलेडेलफिया के कारखानेदारों को छतरियों को मय उनके तमाम सामान के "बनाने" की पादत थी। लेकिन छतरी चूंकि विविध भागों से मिल-जुलकर बनी एक वस्तु (mixtum compositum) है, इसलिए धीरे-धीरे ये माग बुद अलग-अलग स्थानों में स्वतंत्र रूप से संचालित अनेक उद्योगों की पैदावार बन गये। छतरियों की हस्तनिर्माणशाला में ये भाग अलग-अलग मालों के रूप में प्रवेश करते थे, और वहां उन्हें एक में जोड़ दिया जाता था। इस तरह जोड़ी गयी वस्तुमों को यांकियों ने "assembled articles" ("समन्वायोजित बस्तुमों") का नाम दिया है, जो नाम उनके सर्वपा उपयुक्त है, क्योंकि उनके रूप में "करों का समन्वायोजन" (an assemblage of taxes) कर दिया जाता है। इस प्रकार, छतरी पहले अपने प्रत्येक अंश पर और फिर खुद अपने पूरे वाम पर ६ प्रतिशत की चुंगी का "समन्यायोजन" करती है। .
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