पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/३९७

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पूंजीवादी उत्पादन हस्तनिर्माण के काल के शुरू में इस सिद्धान्त की स्थापना हुई और उसे मान्यता प्राप्त हुई थी कि मालों के उत्पादन में प्रावश्यक मम-काल को कम करने की कोशिश करनी चाहिये,' और खास तौर पर कुछ सरल रंग की प्रारम्भिक पियानों के लिये, जिनको बड़े पैमाने पर सम्पन्न करना प्रावश्यक होता है और जिनमें बहुत ताकत इस्तेमाल करने की बरत पड़ती है, जहाँ- तहां मशीनों का इस्तेमाल शुरू हो गया पा। उदाहरण के लिये, कापन के हस्तनिर्माण के प्रारम्भिक काल में रही विषड़ों के काम की मिलों के द्वारा दुकड़े किये जाते थे, और धातु के कारखानों में खनिज कूटने का काम कूटने की मशीनों से लिया जाता था। और रोमन साम्राज्य ने तो पन-पक्की के रूप में दुनिया को सभी प्रकार की मशीनों का प्राथमिक परे दिया था। बस्तकारी के युग से हमें कुतुबनुमा, बास, टाइप की पाई और अपने पाप चलने बाली घड़ी के महान प्राविष्कार विरासत में मिले हैं। लेकिन मोटे तौर पर उस युग में मशीनों ने बह गौण भूमिका ही प्रवा की थी, वो ऐम स्मिथ ने सम-विभाजन की तुलना में उनके लिये नियत की है। १७ वीं सदी में मशीनों का बो इका-मुक्का इस्तेमाल होने लगा, उसका बहुत ही भारी महत्व पा, क्योंकि उससे उस काल के महान गणितज्ञों को यांत्रिकी के विज्ञान के सृजन की प्रेरणा एवं व्यावहारिक मापार प्राप्त हुए थे। तफसीली काम करने वाले अनेक मजदूरों के योग से को सामूहिक मजदूर तैयार होता 'इसके उदाहरण उन्लयू. पेटी, जान बैलेर्स तथा एण्ड्यू यारण्टन की रचनामों में, "The Advantages of the East India Trade' ('ईस्ट इण्डिया के व्यापार के लाभ') में, और यदि अन्य लोगों का जिक्र न भी किया जाये, तो जे० बण्डरलिण्ट की रचना में देखे जा सकते हैं। १६ वीं शताब्दी के मन्तिम दिनों में भी फ्रांस में खनिज को कूटने. और धोने के लिये बरल और छलनी इस्तेमाल की जाती थी। "पाटा पीसने की मिल के इतिहास में मशीनों के विकास के पूरे इतिहास की रूपरेखा मिल जाती है। इंगलैण्ड में फैक्टरी माज भी "mill" ("चक्की") कहलाती है। वर्तमान शताब्दी के पहले दशक की जर्मन भाषा की प्रौद्योगिक पुस्तकों में न केवल प्रकृति की शक्तियों से चलने वाली तमाम मशीनों के लिये, बल्कि उन तमाम हस्तनिर्माणशालाओं के लिये भी, जिनमें मशीनों के ढंग के यंत्र इस्तेमाल किये जाते है, "māhle" ("चक्की") शब्द का प्रयोग किया जाता था।

  • जैसा कि इस रचना की चौथी पुस्तक में हमें पौर विस्तार के साथ मालूम होगा,

विभाजन के विषय में ऐडम स्मिथ ने कोई भी नयी प्रस्थापना पेश नहीं की है। परन्तु जो बात उनको हस्तनिर्माण के युग का सर्वश्रेष्ठ अर्थशास्त्री बना देती है, वह यह है कि वह बम-विभाजन पर निरन्तर जोर देते रहते हैं। मशीनों के लिये उन्होंने जो गौण भूमिका नियत की है, उसके कारण मशीनों से चलने वाले माधुनिक उद्योग के शुरू के दिनों में लोडेररोल और बाद के एक काल में उरे को उनका वणन करने का अवसर मिला। ऐम स्मिथ ने यह गलती भी की है कि श्रम के पौधारों के उस भेदकरण को, जिसमें पद तफ़सीली काम करने वाले मजदूर भी सक्रिय भाग लेते हैं, उन्होंने मशीनों के माविष्कार के साथ गह-महू कर दिया है, जबकि प्रसन में मशीनों के प्राविष्कार में हस्तनिर्माणशालामों के मजदूर भाग नहीं लेते, बल्कि विद्वान लोग, दस्तकार और यहां तक कि किसान (ग्रिण्डले) भाग लेते है। श्रम- .