श्रम का विभाजन और हस्तनिर्माण ३८५ प्राप्त कर लेते हैं, संचित होते जाते हैं और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिलते जाते हैं। हस्तनिर्माण, असल में, तकसीली काम करने वाले मजदूर की निपुणता को इस तरह पैदा करता है कि विभिन्न पंषों में बो भेव हस्तनिर्माण के पहले ही पैदा हो गये थे और जो उसे समाज में पहले से तैयार मिले थे, उनको वह वर्कशाप के भीतर पुनः पैदा कर देता है और सुनियोजित ढंग से विकसित करता हुमा पराकाष्ठा पर पहुंचा देता है। दूसरी ओर, एक प्रांशिक कार्य का किसी एक व्यक्ति के पूरे जीवन के लिये उसका धंधा बन जाना पुराने जमाने की समाज- व्यवस्थाओं की पंधों को पुश्तैनी बना देने की प्रवृत्ति के अनुरूप होता है, जो या तो उनको अलग- अलग वर्गों का रूप दे देती थी और या जहाँ कहीं कुछ खास ऐतिहासिक परिस्थितियां व्यक्ति में अपना पंषा इस तरह बदलने की प्रवृत्ति पैदा कर देती थी, जो वर्ग-व्यवस्था के अनुरूप नहीं होता था, वहां उनको शिल्पी संघों में बांध देती थी। जिस प्राकृतिक नियम के अनुसार वनस्पतियों और पशुओं का विभिन्न जातियों और प्रकारों में विभेदककरण हो जाता है, उसी प्राकृतिक नियम के फलस्वरूप अलग-अलग वर्ण और शिल्पी संघ पैदा हो जाते हैं। अन्तर केवल यह होता है कि जब उनका विकास एक खास मंजिल पर पहुंच जाता है, तो वर्गों का पैतृक स्वल्प और शिल्पी संघों का अनन्य रूप समाज के एक कानून के रूप में स्थापित हो जाता है। " उत्कृष्टता में ढाका की मलमल और चमकदार तथा टिकाऊ रंगों में कारोमण्डल की बरेस तथा अन्य कटपीस से बेहतर कपड़ा अभी तक कोई तैयार नहीं हो सका है। फिर भी इन कपड़ों के उत्पादन में न तो पूंची इस्तेमाल होती है, न मशीनें, न मम का विभाजन और न ही वे तरीके, जिनसे योरप के हस्तनिर्माण करने वालों को इतनी सुविधा हो जाती है। वहां तो बुनकर महब एक पृषक व्यक्ति होता है। कोई प्राहक मार देता है, तो वह कपड़ा बुनने बैठ जाता है और अत्यन्त कुघड़ बनावट का एक ऐसा करघा इस्तेमाल करता है, जो कभी-कभी तो बन्द टहनियों या लकड़ी के रंग को जोड़-जोड़कर ही बना लिया जाता है। यहां तक कि ताना लपेटने की भी उसके पास कोई तरकीब नहीं होती। इसलिये करघे को उसकी पूरी लम्बाई तक 111 "मिस्र में ... - 'सुगम श्रम दूसरे से मिली हुई निपुणता होती है।" (Th. Hodgskin, "Popular Political Economy" [टोमस होजस्किन, "सुबोध अर्थशास्त्र'], London, 1827, पृ० ४८1) कलामों का भी समुचित विकास हुमा है। कारण कि वही एक ऐसा देश है, जहां कारीगरों को नागरिकों के किसी दूसरे वर्ग के मामलों में टांग अड़ाने की इजाजत नहीं थी, बल्कि वे केवल वही धंधा करते हैं, जो कानून के अनुसार उनके गोत्र का पैतृक धंधा होता दूसरे देशों में यह देखा जाता है कि व्यवसायी लोग अपना ध्यान बहुत ज्यादा चीजों में बांट देते हैं। कभी वे खेती में हाय पाजमाते हैं, तो कभी व्यापार में हाथ डालते हैं, और कभी एक साथ दो या तीन धंधों को हाथ में ले लेते हैं। स्वतंत्र देशों में तो वे प्रायः लोक- सभाओं में ही भाग लिया करते हैं इसके विपरीत, मित्र में यदि कोई भी कारीगर राज्य के मामलों में दखल देता है या एक साथ कई धंधे करने लगता है, तो उसे सख्त सजा दी जाती है। इस प्रकार, कारीगर वहां सदा अपने-अपने धंधे में लगे रहते हैं और इस बात में कोई चीज बलल नहीं डाल सकती ... इसके अलावा, कारीगरों को चूंकि अपने बाप- वादों से अनेक नियम विरासत में मिलते हैं, इसलिये वे सदा नये-नये तरीकों का माविष्कार pat e ferit Frys Test XI" (Diodor's von Sicilien Historische Bibliothek", पुस्तक १, अध्याय ७४ [पृ० ११७, ११८]1) . 25-45
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