पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/३८५

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३८२ पूंजीवादी उत्पादन हस्तनिर्माण भी विभिन्न बस्तकारियों को एक अकेले पूंजीपति के नियंत्रण में इकट्ठा करके (२) हस्तनिर्माण इसके ठीक उल्टे ढंग से भी जन्म लेता है, यानी इस तरह कि एक पूंजीपति एक वर्कशाप के भीतर ऐसे अनेक कारीगरों से एक साथ काम लेने लगता है, जो सब के सब एक ही या एक तरह का ही काम करते हैं, जैसे कांग्रब बनाना, टाइप डालना या सुइयां बनाना। यह सहकारिता का सबसे अधिक प्राथमिक रूप होता है। इनमें से प्रत्येक कारीगर (शायद एक या दो शागिर्द मजदूरों की मदद से) पूरा माल तैयार करता है, और इसलिये उसके उत्पादन से सम्बन्धित जितनी भी प्रावश्यक क्रियाएं होती है, वह बारी-बारी से उन सब को करता है। अब भी वह अपने पुराने बस्तकारी के ढंग से काम करता है। लेकिन बहुत जल्द बाह्य परिस्थितियों के कारण एक स्थान पर इतने सारे मजदूरों के केन्द्रीकरण का, उनके एक साथ काम करने का एक नया उपयोग होने लगता है। शायद पहले से अधिक मात्रा में माल तैयार करके एक निश्चित समय के भीतर दे देना है। इसलिये काम को फिर से बांटा जाता 1 एक अधिक माधुनिक उदाहरण देखिये। लिमोंस और नाइम्स की रेशम की कताई और बुनाई "est toute patriarcale; elle emploie beaucoup de femmes et d'enfants, mais sans les épuiser ni les corrompre; elle les laisse dans leur belles vallées de la Drôme, du Var, de l'Isère, de Vaucluse, pour y élever des vers et dèvider leurs cocons; jamais elle n'entre dans une véritable fabrique. Pour être aussi bien observé... le principe de la division du travail s'y revêt d'un caractère spécial. Il y a bien des dévideuses, des moulineurs, des teinturiers, des encolleurs, puis des tisserands; mais ils ne sont pas réunis dans un même établissement, ne dépen- dent pas d'un même maitre; tous ils sont indépendants” [ngar fyQHEIRHA DIT FT व्यवसाय है ।उसमें औरतों और बच्चों की एक बड़ी संख्या काम करती है, पर वह न तो उनकी शक्ति और न उनके स्वास्थ्य को ही एकदम बरबाद करता है। वह उनको द्रोम, वार, इजेर और वोक्लूज़ की उनकी सुन्दर तराइयों में ही रहने देता है, जहां वे रेशम के कीड़ों को पालते हैं और उनके कोयों से रेशम निकालते हैं। वह उन्हें कभी किसी सचमुच की फैक्टरी में लाकर नहीं जमा करता। अधिक निकट से अध्ययन करने पर हम पायेंगे कि . . . यहां श्रम-विभाजन के सिद्धान्त की अपनी विलक्षणतायें हैं। इस व्यवसाय में कोयों से रेशम निकालने वाले, रेशम का धागा बनाने वाले, रंगने वाले , कलफ़ देने वाले, बुनने वाले बड़ी संख्या में काम करते हैं, पर वे किसी एक कारखाने में इकट्ठा नहीं किये जाते, वे किसी एक मालिक पर निर्भर नहीं रहते , बल्कि a tra pacia stat (A. Blanqui, "Cours d'Econ. Industrielle”. Recueilli par A. Blaise. Paris, 1838-39, TO VEI) fører 744 antimalt i पा, उसके बाद विभिन्न स्वतंत्र मजदूरों को, कुछ हद तक, फैक्टरियों में एकजुट कर दिया गया है। [और जिस समय मार्क्स ने उपर्युक्त वाक्य लिखा था, तब से अब तक इन फैक्टरियों पर शक्ति से चलने वाले करघे ने चढ़ाई कर दी है, और इस समय-१८८६ में-तो वह बड़ी तेजी से हाथ से चलने वाले करपे का स्थान लेता जा रहा है। (चौवे पर्मन संस्करण में बोड़ा गया कुटनोट: इस सम्बंध में क्रेफेल्ड के रेशम उद्योग की भी अपनी एक कहानी है।)- के० एं०] यह लिखा .