पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/३८१

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३७८ पूंजीवादी उत्पादन के हाथों उसकी बिक्री का सौदा ते नहीं कर देता। और उसके पास जो कुछ है, अर्थात् उसकी व्यक्तिगत, पृषक मन-शक्ति, उससे अधिक वह कुछ नहीं बेच सकता। इस स्थिति में इस बात से कोई अन्तर नहीं पड़ता कि पूंजीपति एक पादमी की अम-पाक्ति खरीदने के बजाय १०० भादमियों की धम-शक्ति खरीदता है और एक पादमी से करार करने के बजाय १०० असम्बर व्यक्तियों से अलग-अलग करार करता है। उसे इस बात का अधिकार है कि वह १०० व्यक्तियों को काम पर लगाये और उन्हें सहकारी न बनने थे। वह उन्हें १०० स्वतंत्र श्रम- शक्तियों का मूल्य तो दे देता है, पर वह उन्हें सौ व्यक्तियों की संयुक्त प्रम-शक्ति का मूल्य नहीं देता। एक दूसरे से स्वतंत्र होने के कारण सब मजदूर अलग-अलग व्यक्ति मात्र होते हैं, को पूंजीपति के साथ तो सम्बंध कायम करते हैं, पर मापस में नहीं करते। यह सहकारिता केवल मम-प्रक्रिया के साथ प्रारम्भ होती है, लेकिन तब तक उनका अपने ऊपर कोई अधिकार नहीं रह जाता। उस प्रक्रिया में प्रवेश करने के बाद वे पूंची में समाविष्ट हो जाते हैं। सहकार करने वालों के रूप में, एक कार्यरत संघटन के सदस्यों के रूप में, पूंजी के मस्तित्व के विशिष्ट रूप मात्र होते हैं। इसलिये सहकारिता में काम करते हुए मजदूर अपने में जिस उत्पादक शक्ति का विकास करता है, वह पूंजी की उत्पादक शक्ति होती है। जब कभी मजदूरों को कुछ खास परिस्थितियों में काम करना पड़ता है, तब यह शक्ति अपने पाप और मुफ्त में पैदा हो जाती है। और पूंजी ही मजदूरों के लिये ऐसी परिस्थितियां पैदा करती है। कि इस शक्ति के पैदा होने में पूंजी का कुछ वर्ष नहीं होता और चूंकि, दूसरी तरफ, मजदूर का मम जब तक पूंजी की सम्पत्ति नहीं बन जाता, तब तक वह अपने पाप इस शक्ति को विकसित नहीं करता, इसलिये यह एक ऐसी शक्ति के रूप में सामने प्राती है, वो मानो स्वयं प्रकृति ने पूंजी को प्रदान कर रखी हो; इसलिये वह एक ऐसी उत्पादक शक्ति के रूप में सामने माती है, जो पूंची में निहित प्रतीत होती है। सरल सहकारिता की विराट उपलब्धियां प्राचीन काल के एशिया-चासियों, मित्रवासियों और एबूरियावासियों के बृहत् निर्माण कार्यो में देखी जा सकती हैं। "बीते हुए समाने में अक्सर ऐसा हुमा है कि इन पूर्वी राज्यों के पास अपने प्रसैनिक एवं सैनिक कार्यों का वर्ष भरने के बाव अतिरिक्त धन बच रहा। उसे वे अपने वैभव का प्रदर्शन करने वाले या किन्हीं उपयोगी निर्माण कार्यों में खर्च कर सकते थे। इनके निर्माण में किये देश की खेती न करने वाली लगभग पूरी पाबादी के हाथों पर भुनामों से काम ले सकते थे, इसलिये वे ऐसे महान स्मारकों का निर्माण करने में सफल हुए हैं, जो मान भी इन राज्यों की शक्ति की मोर इंगित करते हैं। नील नदी की उर्वर उपत्यका. . . सेती न करने वाली एक बहुत बड़ी पाबादी के लिये भोजन पैदा कर देती थी, और यह भोजन, जिसपर राजा का और पुरोहितों का अधिकार होता था, उन बड़े बड़े स्मारकों के निर्माण का साधन बन जाता था, जिनसे बेश भरा हुमा पा... उन दैत्याकार मूर्तियों और भयानक बोगों को एक जगह से हटाकर दूसरी जगह ले जाने में, जिनके परिवहन की बात सोचकर ही भावमी पाश्चर्यचकित रह जाता है, एक तरह से केवल मानव-मम को ही अंधाधुंध किया गया था ... काम के लिये मजदूरों की संख्या और उनके प्रयत्नों का केन्द्रीकरण पर्याप्त होता था। हम महासागर के गर्न में से प्रवाल-बोल-मालाओं को ऊपर उठकर द्वीपों और भूमि का म धारण करते हुए देखते है, परन्तु फिर भी इन प्रवालों को वहां जमा करने वाला प्रत्येक पीव बहुत ही छोटा, निर्वल और हीन होता है। एशिया के किसी भी राजतंत्र के ती न करने वाले मजदूर काम पर