३७४ पूंजीवादी उत्पादन , - अलग-अलग काम करने वाले मजदूरों के काम के दिनों के जोड़ की अपेक्षा काम का एक संयुक्त दिन अधिक मात्रा में उपयोग-मूल्यों पैदा करता है, और इसलिये वह किसी भी खास तरह के उपयोगी प्रभाव के उत्पादन के लिये प्रावश्यक मम-काल को कम कर देता है। काम का संयुक्त दिन किसी कार्य विशेष में यह बढ़ी हुई उत्पादक शक्ति चाहे इसलिये प्राप्त कर ले कि वह भम की यांत्रिक शक्ति को बढ़ा देता है, या इसलिये कि वह उसके कार्य-क्षेत्र का विस्तार कर देता है, या इसलिये कि वह उत्पादन के अनुमाप की तुलना में उसके क्षेत्र को कम कर देता है, या इसलिये कि वह नाजुक मण माने पर बहुत सारा मन काम में लगा देता है, या इसलिये कि वह व्यक्तियों के बीच होड़ की भावना को जगा देता है तथा उनकी तबीयत के गोश को बढ़ा देता है, या इसलिये कि यह अनेक मनुष्यों द्वारा की जाने वाली एक तरह की क्रियाओं पर निरन्तरता और बहुरूपता की छाप अंकित कर देता है, या इसलिये कि वह विभिन्न क्रियाओं को एक साथ सम्पन्न करता है, या इसलिये कि वह उत्पादन के साधनों का सामूहिक उपयोग करके उनका मितव्ययिता के साथ खर्च करता है, या इसलिये कि वह व्यक्तिगत श्रम को प्रोसत सामाजिक श्रम का रूप दे देता है,- उत्पादक शक्ति की वृद्धि का इनमें से कोई भी कारण हो, काम के संयुक्त दिन की विशिष्ट उत्पादक शक्ति हर हालत में श्रम की सामाजिक उत्पादक शक्ति, अपवा सामाजिक श्रम की उत्पादक शक्ति होती है। यह शक्ति स्वयं सहकारिता के कारण उत्पन्न होती है। अब मजदूर सुनियोजित ढंग से दूसरों के साथ सहकार करता है, तब वह अपने व्यक्तित्व की श्रृंखलाओं को उतारकर फेंक देता है और अपनी नसल की ममतामों को विकसित करने में सफल होता है।' एक सामान्य नियम के रूप में, मजदूर उस वक्त तक सहकार नहीं कर सकते, जब तक कि उनको इकट्ठा नहीं कर दिया जाता। उनका एक स्थान पर एकत्रित होना उनकी सहकारिता की पावश्यक शर्त होता है। इसलिये मजदूरी पर काम करने वाले मजदूर उस समय तक सहकार नहीं कर सकते, जब तक कि उनसे एक ही पूंजी, एक ही पूंजीपति साथ-साथ काम नहीं लेता और, इसलिये, जब तक कि वह उनकी मम-शक्तियों को एक साथ नहीं खरीद लेता। उत्पावन की प्रकिया के लिये मजदूरों के एक जगह पर इकट्ठा होने के पहले यह बकरी है कि एक दिन का या एक सप्ताह का, जैसी कि मावश्यकता हो, इन श्रम-शक्तियों का मूल्य, या इन मजदूरों की मजबूरी, पूंजीपति की जेब में मौजूद हो। चाहे एक दिन के लिये ही सही, पर ३०० मजदूरों को एक साथ मजदूरी देने के लिये जो पूंजी लगानी . . . . 1«La forza di ciascuno uomo è minima, ma la riunione delle minime forze forna una forza totale maggiore anche della somma delle forze medesime fino a che le forze per essere riunite possono diminuere il tempo ed accrescere lo spazio della loro azione." ["प्रत्येक मनुष्य की शक्तियां बहुत पल्प होती है, लेकिन इन नन्ही- नन्ही शक्तियों के संयोजन से जो फल मिलता है, वह इन्हीं शक्तियों के केवल अंकगणित के डंग के योग से बहुत बड़ा होता है। इसी कारण जब शक्तियां संयुक्त हो जाती है, तब वे अपना काम पहले से कम समय में करने लगती है और उसका प्रभाव अधिक व्यापक हो जाता है।"] (P. Verry की रचना "Meditazioni Sulla Economia Politica" पर जी• भार preff m ga feuguft; "Scrittori Classici Italiani di Economia Politica. Parte Moderna", अन्य १५, Milano, 1804, पृ. १९६।)
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