पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/३३५

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३३२ पूंजीवादी उत्पादन . गया। ते कर दिया गया कि काम सुबह के ६ बजे से शाम के ६ बजे तक होगा और नास्ते तवा भोजन के लिये बीच में कम से कम कुल १ घण्टे के लिये एका रहेगा, और नाश्ते तवा भोजन की छुट्टी सब मजदूरों को एक ही समय पर तथा १४ के कानून में निर्धारित नियमों के अनुसार दी जायेगी। इस कानून द्वारा relay system (पालियों की प्रणाली) का सदा के लिये अन्त हो गया। बच्चों के दम पर १४ का कानून ही लागू रहा। पहले की तरह इस बार भी मालिकों के एक दल ने सर्वहारा के बच्चों के ऊपर विशेष प्रकार के सामन्ती अधिकार प्राप्त कर लिये। यह रेशम के कारखानों के मालिकों का बल था। १८३३ में इन लोगों ने यह गीदड़ भभकी दी थी कि "यदि किसी भी उम्र के बच्चों से बस घन्टे रोजाना काम लेने की उनकी पावादी छीन ली गयी, तो उनके कारखाने बन्द हो जायेंगे" (if the liberty of working children of any age for 10 hours a day were taken away, it would stop their works)' उनका कहना था कि १३ वर्ष से अधिक उनके बच्चों की पर्याप्त संख्या को खरीद सकना उनके लिये असम्भव होगा। पुनांचे, वे जो विशेष अधिकार चाहते थे, वह उन्हें मिल गया। बार को छानबीन करने पर पता चला कि उनका बहाना सरासर मूग बा। लेकिन इससे उनके रास्ते में कोई पकावट नहीं पड़ी। वे अगले बस बरस तक नन्हे-नन्हे बच्चों के खून से रोजाना १० घण्टे शाम की कताई करते रहे। ये बच्चे इतने छोटे होते थे कि उनको स्टूलों पर बड़ा करके उनसे काम लिया जाता था।' १४ के कानून ने इन मालिकों से ११ वर्ष से कम उम्र के बच्चों से रोजाना ६. घन्टे से ज्यादा काम लेने की "पाखावी" निश्चय ही "छीन ली २ बी"। पर, दूसरी ओर, इस कानून ने उनको ११ वर्ष से लेकर १३ वर्ष तक के बच्चों से १० पटे रोजाना काम लेने और उनको उस अनिवार्य शिक्षा के नियम से भी मुक्त कर देने का अधिकार दे दिया था, जो फैक्टरियों में काम करने वाले बाकी सब बच्चों पर लागू था। इस बार बहाना यह था कि "जिस कपड़े को ये बच्चे बनाते हैं, उसकी नाबुक बनावट के लिये अत्यधिक कोमल प की पावश्यकता होती है, वो बाल्यावस्था से ही पटरियों में काम शुरू कर देने पर ही उनकी उंगलियों में पैरा हो सकता है। जिस प्रकार बनिनी मस में सींगवार डोर लाल और पी के लिये विवह कर दिये जाते हैं, उसी प्रकार यहां इंग्लैण्ड में बच्चे अपनी नाजुक उंगलियों के लिये विबह होते रहे। अन्त में १८४ में दिये गये इन जाड़ों में इसके बजाय सुबह के ७ बजे से शाम के ७ बजे तक काम लेने की इजाजत थी। ( १८५० का) मौजूदा कानून एक समझौते की तरह था, जिसके जरिये मजदूरों ने दस घण्टे के कानून की सुविधाओं को इस सुविधा के एवज में त्याग दिया था कि जिन लोगों के श्रम पर किसी प्रकार के प्रतिबंध लगे हैं, उनके काम के प्रारम्भ तथा समाप्त होने के समय में एकरूपता हो जायगी।" ("Reports, &c. for soth April, 1852" ["रिपोर्ट, इत्यादि, ३० अप्रैल १८५२'], पृ० १४।) • Reports, &c., for soth Sept., 1844" ("रिपोर्ट, इत्यादि, ३० सितम्बर १८४४'), पृ. १३॥ उप. • उप. पु.। • "Reports, &c., for 31st Oct., 1846" ('रिपोर्ट, इत्यादि, ३१ अक्तूबर १८४६'), पृ. २०॥ . 34 1 पु.॥