२८० पूंजीवादी उत्पादन सो बैठने का जो भय सता रहा है, वह इसके लिए पर्याप्त कारण नहीं समझा जा सकता कि १३ वर्ष से कम उम्र के बच्चों को और १८ वर्ष से कम उम्र के लड़के-लड़कियों को बिना साये काम करने की इजाजत दी जाये या उनको काम के दौरान में ही इस तरह भोजन देने की इजाजत दी जाये, जिस तरह भाप के इंजन को उत्पादन-प्रक्रिया के दौरान में कोयला और पानी दिया जाता है, उन को साबुन मिलाया जाता है और पहिये को तेल पिलाया जाता है,-पानी जिस तरह श्रम के पौधारों को सहायक सामग्री दी जाती है। इंगलब में उद्योग की किसी शाला में उत्पादन का इतना पुरातन ढंग इस्तेमाल नहीं किया जाता, जितना उबल रोटी बनाने में (हाल में मशीनों के परिवे रोटी बनाने की जो पति बालू की गयी है, हम उसपर यहां विचार नहीं कर रहे हैं)बल रोटी बनाने के व्यवसाय में तो ईसा के भी पूर्व का ढंग इस्तेमाल किया जाता है। रोमन कवियों की रचनायें इसकी साली है। परन्तु, जैसा कि पहले भी कहा जा चुका है, शुरू में पूंजी को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं होती कि श्रम-निया का प्राविधिक स्वल्प कसा है। वह जैसा भी होता है, पूंजी उसी स्म पर अधिकार करके अपना काम प्रारम्भ कर देती है। जास तौर पर लन्दन में खल रोटी में ती भयानक मिलावट की जाती है, इसपर पहले-पहल उस समय प्रकाश पड़ा, अब हाउस पाक कामन्स ने "साव पदार्थों में मिलावट" की जांच करने के लिए एक समिति नियुक्त की और उसने अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की (१८५५-५६) और अब ग. हस्सल की रचना "Adalteration detected" ('मिलावट पकड़ी गयी') प्रकाशित हुई। इस रहस्योद्घाटन का परिणाम यह हुआ कि ६ ITET 860 mt "for preventing the adulteration of articles of food and drink” ("खाने-पीने की वस्तुओं में मिलावट रोकने के लिए" एक कानून बना दिया गया। पर यह कानून कभी अमल में नहीं पाया, क्योंकि वह स्वभावतया ऐसे प्रत्येक स्वतंत्र व्यापारी पर रुपा-वृष्टि रखता है, बो मिलावट वाली वस्तुओं को खरीद या बेच कर "ईमानदारी का पैसा कमाना" ("to turm an honest penny") चाहता है। इस समिति ने खुब न्यूनाधिक भोलेपन के साथ अपना यह विश्वास प्रकट किया कि स्वतंत्र व्यापार का प्रर्ष मूलतया मिलावट-मिली चीजों का व्यापार, या,-जैसा कि अंग्रेड लोग बड़ी बुद्धिमानी का परिचय देते हुए कहते हैं, "गोलमाल" ("sophisticated") बस्तुओं का व्यापार, होता है। वस्तुतः इस प्रकार 1 "Children's Employment Commission, 1869" (qytetara urut, १८६३'), गवाहों के बयान, पृ० १२३, १२४, १२५, १४० और LIV (चौवन )। ३ फिटकरी का बारीक चूरा, जिसमें कभी-कभी नमक भी मिला रहता है, बाजार में माम बिकता है और "bakers' stuff" ("रोटी बनाने वालों का मसाला") कहलाता है। कालिख कार्बन का एक सुपरिचित और बहुत ऊर्जापूर्ण रूप है। चिमनियां साफ़ करने वाले उसे बाद के रूप में अंग्रेज काश्तकारों के हाथ बेच देते है। प्रब १८६२ में अंग्रेज जूरी को एक मुकदमे में यह सवाल ते करना पड़ा कि वह कालिब, जिसमें खरीदार के पीठ पीछे ९० प्रतिशत धूल और रेत मिला दिया गया है, व्यापारिक पर्ष में बरी कालिब है या कानूनी पर्व में मिलावट-मिली कालिब है। जूरी में जो "amis du commerce" ("व्यापार के मित्र") बैठे हुए थे, उन्होंने यह ने किया कि यह ब्यापारिक पर्व में बरी कालिब है, और दायर करने वाले काश्तकार का मुकदमा वारिज कर दिया गया, जिसे ऊपर से मुकदमे का वर्ष भी प्रदा करना पड़ा।
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