पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२६२

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अतिरिक्त मूल्य की दर २५६ . मावश्यक भम और अतिरिक्त मम का बोड़, अर्थात् जिस अवधि में मजदूर अपनी प्रम- शक्ति के मूल्य का स्थान भरता है और जिस अवधि में वह अतिरिक्त मूल्य पैदा करता उनका मोड़ ही वह वास्तविक समय होता है, जिसमें मजदूर काम करता है। अर्थात् उनका गोड काम का दिन (working day) होता है। . बंटा हुमा कोई प्रान्त (जो पुरानी रोमन प्रथा के अनुसार छोटे-छोटे स्वतंत्र किसानों में बंटा हो), उसमें चाहे जितनी अच्छी तरह खेती की जाती हो, मादमी पैदा करने ("the mere purpose of breeding men") के सिवा और किस काम में पा सकता है? और यह अपने में aga at foretage F1 (“is a most useless purpose")." (Arthur Young, “Political Arithmetic, &c." [मार्थर यंग, 'राजनीतिक गणित, इत्यादि'], London, 1774, पृ० ४७।) "शुद्ध धन को श्रम करने वाले वर्ग के लिये हितकारी बताने की जोरदार प्रवृत्ति" होती है .., "हालांकि, जाहिर है, शुद्ध होने के कारण ऐसा होना नहीं है।" यह प्रवृत्ति भी एक बहुत ही विचित्र चीज़ है। (Th. Hopkins, "On Rent of Land, &c." [टोमस होपकिन्स, 'भूमि के लगान के विषय में, इत्यादि'], London, 1828, पृ० १२६ ।) . . 17"