पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२६१

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२५८ पूंजीवादी उत्पादन १५ अप्रैल १८४८ के लम्बन के "Economist" में बेम्स विल्सन ने यही नारा एक बार फिर बुलन किया। जेम्स विल्सन अर्वशास्त्र की दुनिया के एक उच्चाधिकारी हैं। इस बार यह नारा उन्होंने १० घण्टे के बिल के विरोध में बुलान किया। अनुभाग ४-अतिरिक्त पैदावार . पैदावार का वो भाग (मनुभाग २ में जो उबाहरण दिया गया है, उसमें २० पौणका बसवां भाग, या २ पौण सूत) अतिरिक्त मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है, उसे हम "अतिरिक्त पैदावार" ("surplus produce") की संज्ञा देते हैं। जिस प्रकार अतिरिक्त मूल्य की पर इससे निर्धारित नहीं होती कि कुल पूंजी के साथ उसका क्या सम्बंध है, बल्कि वह पूंजी के केवल अस्थिर भाग के साथ उसके सम्बंध से निर्धारित होती है, उसी प्रकार प्रतिरिक्त पैदावार की सापेक मात्रा इस बात से निर्धारित नहीं होती कि इस पैदावार का कुल पैदावार के बाकी हिस्से के साथ क्या अनुपात है, बल्कि वह इस बात से निर्धारित होती है कि इस पैदावार का कुल पैदावार के उस भाग के साथ क्या अनुपात है, जिसमें प्रावश्यक बम निहित है। पूंजीवादी उत्पादन का मुख्य गोल्य एवं मय चूंकि अतिरिक्त मूल्य का उत्पादन होता है, इसलिये यह बात स्पष्ट है कि किसी व्यक्ति या राष्ट्र की बोलत इससे नहीं नापी जानी चाहिए कि कुल कितनी निरपेक्ष मात्रा का उत्पादन हुमा है, बल्कि वह इस बात से नापी जानी चाहिए कि प्रतिषित पैदावार की सापेक्ष मात्रा कितनी है।' . असल मुनाफ़े को मजदूर के महज एक घण्टे के मुफ्त काम पर निर्भर बना दिया है। उसके एक साल पहले अपनी पुस्तक "Outlines of Political Economy" ("पर्यशास्त्र की रूपरेखा') में, जो पाक्सफोर्ड के विद्यार्षियों तथा सुसंस्कृत कूपमण्डूकों की शिक्षा के लिये लिखी गयी थी, उन्होंने रिकारों के श्रम के बारा मूल्य को निर्धारित करने के मुकाबले में यह "माविष्कार" किया था कि मुनाफ़ा पूंजीपति के श्रम से और सूद उसके त्याग से-या, दूसरे शब्दों में, उसके "abstinence" ("परिवर्जन") से- उत्पन्न होता है। चाल पुरानी थी, मगर "abstinence" ("परिवर्जन") शब्द नया था। हेरं रोश्चर ने उसका जर्मन भाषा में बिल्कुल सही अनुवाद "Enthaltung" किया है। उनके कुछ देशवासियों ने -जर्मनी के ऐरे-ौरे-नत्यू-सरों ने , जिनका लैटिन का ज्ञान हेरै रोश्चर जैसा अच्छा नहीं है,- साधु-सन्यासियों की तरह इस शब्द का अनुवाद “Entsagung" ("परित्याग") कर गला है। 1"जिस व्यक्ति की पूंजी २०,००० पौण्ड है और जिसका मुनाफा २,००० पौण्ड सालाना है, उसके लिए इस बात का कोई महत्व नहीं होता कि उसकी पूंजी १०० भादमियों को नौकर रखती है या १,००० को, और वे जो माल तैयार करते है, वह १०,००० पाण्ड में बिकता है मा २०,००० पाड में, बशर्ते कि उसका मुनाफा २,००० पौण्ड से कम न हो जाय । क्या राष्ट्र का वास्तविक हित भी ठीक इसी प्रकार का नहीं होता? यदि किसी राष्ट्र की असल मामदनी, उसका लगान पौर मुनाफा वही रहते है, तो इसका कोई महत्व नहीं है कि वह १ करोड़ निवासियों का राष्ट्र है या १ करोड २० लाब का।" (D. Ricardo, उप० पु०, पृ. ४१६) रिकार्ग के बहुत पहले पार्षर यंग ने, जो अतिरिक्त पैदावार के तो कट्टर समर्थक थे, पर बाकी बातों में मां बन्द करके जो मन में माता था, लिबते चले जाते थे और जिनकी याति उनकी प्रतिमा के प्रतिलोम अनुपात में है, कहा था: एक माधुनिक राज्य में इस तरह - ।