अतिरिक्त मूल्य की दर २५३ - और इसे प्रोफेसर साहब "विश्लेषण" कहते हैं। यदि कारखानेदारों की बीज-पुकार पर विश्वास करके उनका यह खयाल हो गया था कि मजदूर लोग दिन का अधिकांश मकानों, मशीनों, कपास, कोयला प्रावि के मूल्य के उत्पादन में-पर्वात् उनके पुनरुत्पादन या उनकी बहाली में-सर्च करते हैं, तो उनका विश्लेषण बेकार था। उनको केवल यह उत्तर देना चाहिए था कि "महानुभावो। यदि पाप लोग घण्टे के बजाय अपनी मिले १० घण्टे पलाने लगेंगे, तो अन्य बातों के समान रहते हुए पापका कपास, मशीनों प्रादि का रोजाना सर्व भी उसी अनुपात में घट जायेगा। जितना पापका नुकसान होगा, उतनी ही बचत हो जायेगी। मापके मजदूरों को भविष्य में मूल पूंजी को पैदा करने अथवा उसकी स्वान-पूर्ति के लिए पहले से मे घन्टा कम काम करना पड़ेगा।" दूसरी ओर, यदि प्रोफेसर साहब बिना और छानबीन किये कारखानेवारों की बात पर विश्वास करने को तैयार नहीं थे, मगर इन मामलों के विशेषत होने के नाते विश्लेषण करना भावश्यक समानते थे, तो यह देखते हुए कि यह एक ऐसा सवाल है, जो सिर्फ काम के दिन की लम्बाई के साथ प्रसल मुनाने के सम्बंध से ताल्लुक रखता है, उनको सबसे पहले कारखानेदारों से यह कहना चाहिए था कि उन्हें मशीनों, वर्कशापों, कच्चे माल और मन को एक ढेर में नहीं जमा कर देना चाहिए, बल्कि मकानों, मशीनों, कच्चे माल मावि में लगी हुई स्थिर पूंजी को हिसाब में एक तरफ और मजदूरी की शाकल में पेशगी दी गयी पूंजी को दूसरी तरफ रखना चाहिए। यदि ऐसा करने पर प्रोफेसर साहब को यह पता चलता कि कारखानेवारों के हिसाब के मुताबिक मजदूर अपनी मजदूरी का २ प्रव-घण्टों में पुनरुत्पादन कर देता है, या उसका स्थान भर देता है, तो फिर मागे उनको इस तरह विश्लेषण करना चाहिए थाः पाप के प्रांकड़ों के अनुसार, मजदूर अपने अन्तिम से पहले एक घण्टे में अपनी मजदूरी पैदा करता है और अन्तिम घण्टे में पाप लोगों का अतिरिक्त मूल्य, या प्रसल मुनाफा, पैदा करता है। अब चूंकि समान अवधि में यह समान मूल्यों को पैदा करता है, इसलिए उसके अन्तिम से पहले एक घन्टे की पैदावार का वही मूल्य होगा, जो उसके अन्तिम घण्टे की पैरावार का होगा। इसके अलावा, वह कोई मूल्य तमी पैरा करता है, जब वह श्रम करता है और उसके बम की मात्रा उसके मम-काल से मापी जाती है। मापके कपनानुसार, . पौण्ड-१५,००० पौण्ड की पैदावार होती है, या यूं कहिये कि बाकी तीन प्रध-घण्टों २३ में कुल मुनाफ़ा होता है। इन ३ प्रध-षष्टों में से १ में १,१५,०००x; पाण्ड-५,००० पौण्ड की पैदावार होती है, या यूं कहिये कि उनमें से १ प्रध-घण्टे में मशीनों की घिसाई पूरी होती २ है। बाकी २ प्रध-घण्टों में, अर्थात् मन्तिम घण्टे में, १,१५,०००x -पौण्ड-१०,००० पौण्ड २३ की पैदावार होती है, या यूं कहिये कि अन्तिम घण्टे में असल मुनाफ़ा होता है। सीनियर ने अपनी पुस्तिका में पैदावार के अन्तिम भाग को खुद काम के दिन के हिस्सों में बदल २३ गला है। २
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