स्थिर पूंजी और मस्थिर पूंजी २३३ पच्छा पलता रहता है, तब तक पूंजीपति मुद्रा कमाने में इतना दूबा पहता है कि वह मम की इस निःशुल्क देन की मोर प्रांत तक उनकर नहीं देखता। परन्तु जब कोई संकट पाकर बमपूर्वक मन-प्रक्रिया को बीच में रोक देता है, तब पूंजीपति इस देन के महत्व के बारे में बहुत सहब ही सजग हो जाता है।' वहाँ तक उत्पादन के साधनों का सम्बंध है, वो कुछ सचमुच वर्ष होता है, वह उनका उपयोग-मूल्य होता है, और मम के द्वारा उस उपयोग मूल्य के उपभोग का फल पैदावार होती है। उत्पादन के साधनों के मूल्य का उपभोग नहीं होता, और इसलिए यह कहना गलत होगा कि उनके मूल्य का पुनरुत्पादन होता है। बल्कि यह कहना सही होगा कि उनका मूल्य सुरक्षित रहता है इसलिए नहीं कि वह प्रम-प्रक्रिया के दौरान में पुर किसी क्रिया में से गुखरता है, बल्कि इसलिए कि यह मूल्य शुरू में जिस वस्तु में पाया जाता है, वह वस्तु गायब तो होती है, पर तुरन्त ही किसी और बस्तु केस में प्रकट हो जाती है। इसलिए पैदावार के मूल्य में उत्पावन के साधनों का मूल्य पुनः प्रकट होता है, लेकिन सही पर्व में उस मूल्य का पुनरुत्पावन नहीं होता। जो कुछ सचमुच पैदा होता है, वह एक नया उपयोग मूल्य होता है, जिसमें पुराना विनिमय-मूल्य पुनः प्रकट होता है।' originally presented to the Right Hon. W. Pitt, in the month of November 1795" [एडमण्ड वर्क , 'दुर्लभता के सम्बंध में विचार, जो शुरू में १७९५ के नवम्बर मास में राइट मोनरेबिल उम्ल्यू. पिट की सेवा में प्रस्तुत किये गये थे', London का संस्करण, 1800, पृ. १०) I"The Times' के २६ नवम्बर १९६२ के अंक में एक कारखानेदार ने, जिसकी मिल में ८०० मजदूर काम करते है और प्रोसतन १५० गांठ भारतीय कपास या १३० गांठ अमरीकी कपास (प्रति हफ्ते) का उपयोग होता है, बहुत रुपांसा होकर यह शिकायत की है कि उसकी फैक्टरी जब काम नहीं करती, तब भी उस कारखाने के स्थायी वर्ष का काफी बोझ रहता है। उसका अनुमान है कि इस तरह उसे हर साल ६,००० पौण्ड खर्च करने पड़ते हैं। इस खर्च में कई ऐसी मदें शामिल है, जिनसे हमारा यहां कोई सम्बंध नहीं है, जैसे किराया, कर और टैक्स, बीमे का बर्चा और मैनेजर, हिसाबनवीस, इंजीनियर मादि की तनबाएं। फिर उसने हिसाब लगाया है कि समय-समय पर उसे मिल को गरम करने के लिए और यदा-कदा इंजन चलाने के लिए जो कोयला इस्तेमाल करना पड़ता है, उसपर १५० पौण्ड बर्ष होते हैं। इसके अलावा मशीनों को चालू हालत में रखने के लिए उसे कभी-कभार जिन लोगों को नौकर रखना पड़ता है, उनकी मजदूरी की भी वह गिनती करता है। अन्त में कारखानेदार ने १,२०० पौड मशीनों के मूल्य हास की मद में डाल दिये है, क्योंकि "अब भाप से चलने वाला इंजन काम करना बन्द कर देता है, तब भी मौसम का तथा अपक्षय का प्राकृतिक सिद्धान्त काम करना बन्द नहीं कर देते।" कारखानेदार ने बहुत जोर देकर कहा है कि मूल्य-हास की मद में उसने १,२०० पौण्ड की इस छोटी सी रकम से ज्यादा इसलिए नहीं गले है कि उसकी मशीन पहले ही से लगभग एकदम पिसी हुई है। 'उत्पादक उपभोग...जहां किसी माल का उपभोग उत्पादन की प्रक्रिया का एक अंग होता ऐसी सूरतों में मूल्य का उपभोग नहीं होता।" (S. P. Newman, उप० पु०, पृ० २९६ ।) एक अमरीकी पाठ्य-पुस्तक में, जिसके अब तक थायर २० संस्करण निकल चुके है, यह मिला हुआ है कि "इसका कोई महत्व नहीं है कि पूंजी किस रूप में पुनः प्रकट होती है।
पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२३६
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।