पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/१९०

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पूंजी के सामान्य सूत्र के विरोध १८७ १० पौण का रहता है। परिचलन में भाग लेने वाले मूल्य में तनिक भी वृद्धि नहीं होती, 'क' और 'ब' के बीच केवल उसका वितरण पहले से कुछ भिन्न हो जाता है। जो 'ख' के लिए मूल्य की हानि है, वह 'क' के लिए अतिरिक्त मूल्य है। जो एक के लिए "न" वह दूसरे के लिए "धन" है। यदि 'क' बिना विनिमय की रस्म पूरी किये सीधे-सीधे के १० पौस पुरा लेता, तो भी यही परिवर्तन होता। जिस प्रकार कोई यहूदी रानी ऐन के समाने की प्राविंग को एक गिन्नी में बेचकर देश में मौजूद बहुमूल्य धातुओं की मात्रा में कोई तबदीली नहीं ला सकता, उसी प्रकार परिचलन में भाग लेने वाले मूल्यों के वितरण में परिवर्तन करके उनके जोड़ में कोई वृद्धि नहीं की जा सकती। किसी भी देश में पूरे का पूरा पूंजीपति-वर्ग खुद अपने को धोखा देकर अधिक धनी नहीं बन सकता।' हम चाहे जितना छटपटायें, चाहे जैसे भी तोड़े-मरो, यह सत्य नहीं बदलता। यदि सम-मूल्यों का विनिमय होता है, तो अतिरिक्त मूल्य नहीं पैदा होता, और यदि गैर-सम-मूल्यों का विनिमय होता है, तो तब भी अतिरिक्त मूल्य नहीं पैदा होता। परिचलन से, या मालों के विनिमय से, मूल्य नहीं पैदा होता।' . . . ... . देस्तूत दे वेसी इंस्टीट्यूट का सदस्य था, मगर फिर भी, या शायद इसीलिए, उसका मत उल्टा था। वह कहता है कि मोद्योगिक पूंजीपति इसलिए मुनाफा कमाते है कि "वे सब लागत से ज्यादा में अपना माल बेचते हैं। और, किसको बेचते हैं ? शुरू में वे एक दूसरे को बेचते हैं।" ( उप० पु०, पृ. २३९ । ) 2 “L'échange qui se fait de deux valeurs égales n'augmente ni ne diminue la masse des valeurs subsistantes dans la société. L'échange de deux valeurs inégales ne change rien non plus à la somme des valeurs sociales, bien qu'il ajoute á la fortune de l'un ce qu'il ôte de la fortune de l'autre." दो समान मूल्यों का विनिमय होता है, तब समाज में पाये जाने वाले कुल मूल्यों की राशि में विनिमय से न तो कोई वृद्धि होती है और न कोई कमी। न ही जब असमान मूल्यों का विनिमय होता है... तब विनिमय से सामाजिक मूल्यों के कुल जोड़ में कोई तबदीली पाती है, हालांकि उससे एक पक्ष के धन में उतना जुड़ जाता है, जितना वह पक्ष दूसरे पक्ष के धन से ले लेता है।"] (J. B. Say, उप० पु०, ग्रंथ २, पृ० ४३, mi) से ने यह वक्तव्य शब्दशः फ़िजिमोक्रेट्स से उधार लिया है, और उनको इसकी तनिक भी चिन्ता नहीं है कि इस वक्तव्य का क्या परिणाम होगा। यह निम्नलिखित उदाहरण से स्पष्ट हो जायेगा कि श्रीमान से ने फ़िजिमोक्रेट्स की रचनाओं का, जिनको उनके जमाने में लोग लगभग बिल्कुल भूल गये थे, किस प्रकार खुद अपना “मूल्य" बढ़ाने के लिए उपयोग किया है। से की सबसे प्रसिद्ध उक्ति यह है : “On nachete des produits qu'avec des produits" ["हम केवल पैदावार से पैदावार खरीदते हैं"] (उप० पु०, ग्रंथ २, पृ. ४१)। यह उक्ति मूल फ़िजिमोक्रेटिक रचना में इस रूप में मिलती है : “Les productions ne se palent qu'avee des productions" [" पैदावार के दाम केवल पैदावार में ही चुकाये जाते है"] (Le Trosne, उप. पु., पृ. ८६९)। "विनिमय पैदावार को तनिक भी मूल्य नहीं प्रदान करता।" (F. Wayland "The Elements of Political Economy" एफ० वेलेण्ड, 'अर्थशास्त्र के तत्त्व'], Boston, 1843, पृ० १६९।) - .