पूंजीवादी उत्पादन . लेकिन कंबूस वहाँ पगलाया हा पूंजीपति होता है, वहां पूंजीपति विवेकपूर्ण कंजूस होता है। कबूस अपनी मुद्रा को परिचलन से बचाकर विनिमय-मूल्य में अन्तहीन वृद्धि करने का प्रयास करता है। उससे अधिक चतुर पूंजीपति यही लक्ष्य अपनी मुद्रा को हर बार नये सिरे से परिचलन में गलकर प्राप्त करता है। साधारण परिचलन में मालों का मूल्य को स्वतंत्र म-प्रति मुद्रा-स-पारण कर लेता है, वह केवल एक ही काम में पाता है, यानी यह केवल उनके विनिमय के काम में माता है, और गति सम्पूर्ण हो जाने पर पायब हो जाता है। इसके विपरीत, परिचलन मु-मा-म में मुद्रा और माल दोनों केवल मूल्य के ही दो मिन्न मस्तिष-मों का प्रतिनिधित्व करते हैं: महा उसके सामान्य रूप का प्रतिनिधित्व करती है। माल उसके विशिष्ट प का, या यूं कहिये कि उसके नम-कम का प्रतिनिधित्व करता है। मूल्य लगातार एकम को छोड़कर दूसरा प पहन करता पाता है, पर इस कारण उसका कभी लोप नहीं होता, और इस प्रकार वह पुस्कार ही एक सकिय स्वरूप धारण कर लेता है। अपने पाप विस्तार करने वाला यह मूल्य अपने बीवन-काल के दौरान में बारी-बारी से बो दो अलग-अलग रूप धारण करता है, उनमें से प्रत्येक को यदि हम अलग-अलग में, तो हमें ये दो स्थापनाएं प्राप्त होती है : एक यह कि पूंची मुद्रा होती है, और दूसरी यह कि पूंची मान होती है। किन्तु वास्तव में मूल्य यहां पर एक ऐसी प्रक्रिया का सक्रिय तत्व है, जिसमें वह बारी-बारी से लगातार मुद्रा और मालों का म पारण करने के साप साप पर अपने परिमाण को बबन गलता है और अपने में से अतिरिक्त मूल्य को उत्पन्न करके पर अपने में भेव पैदा कर देता है। दूसरे शब्दों में, यह ऐसी प्रणिया है, जिसमें मूल मूल्य स्वयंस्फूर्त अंग से विस्तार करता जाता है। क्योंकि जिस गति के दौरान में उसमें अतिरिक्त मूल्य पर बाता है, वह उसकी अपनी गति होती है, इसलिये उसका विस्तार . , . पगें और कपड़े की तथा अन्य अत्यन्त परिचित ढंग के उपयोग-मूल्यों की कमी न मिटने वाली भूब पैदा हो जाती है, और ऐसा करने में मैक्कुलक का यह उपरोक्त विचार कभी उनके पाड़े नहीं पाता। imgav (बचाना) अपसंचय के लिए यूनानी भाषा का शब्द है। अंग्रेजी भाषा के to save का भी वही दोहरा पर्व होता है : sauver (बचाना) और pargner (सुरक्षित ) 8 "Questo infinito che le cose non hanno in progresso, hanno in giro” ["सीधे मागे की भोर चलने वाली वस्तुओं में जो अनन्तत्व नहीं होता, वह उनमें उस वक्त भा जाता है, पर ये धूमने लगती है"] (Galiani)।
- "Ce n'est pas la matière qui fait le capital, mais la valeur de ces matiè-
res" ["भौतिक पदार्थ पूंजी नहीं होता, भौतिक पदार्थ का मूल्य पूंजी होता है"] (J. B.Say, "Traite dEcon. Polit.", तीसरा संस्करण, Paris, 1817, अंच २, पृ. ४२९ ) । "वस्तुओं का उत्पादन करने में इस्तेमाल होने वाली चालू मुद्रा (currency) ()... पूंजी होती है।" (Macleod, "The Theory and Practice of Banking" [मैक्सिमोर, 'व्यवसाय का सिद्धान्त एवं व्यवहार'], London, 1855, बण १, प्रध्याय १, पृ. 4X1) " Are Elett t." (James Mill, "Elements of Political Economy" जेम्स मिल, 'प्रशास्त्र के तत्व'], London, 1821, पृ. ७४।)