पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/१७५

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१७२ पूंजीवावी उत्पादन गल्यहीन लगती है। मुद्रा की एक राम का दूसरी कम से केवल मात्रा वारा ही भेद किया जाता है। प्रतएव म-मा-म प्रक्रिया के स्वम एवं प्रवृति का कारण यह नहीं होता कि उसके दो परम बिन्दुओं में कोई गुणात्मक भेद होता है,-पयोंकि ये दोनों तो ही मुद्रा होते है, बल्कि केवल उसके दो परम विगुणों का परिमाणात्मक अन्तर ही सनका कारण होता है। परिचलन के प्रारम्भ में उसमें जितनी मुद्रा गली जाती है, उसके समाप्त होने पर उससे अधिक मुद्रा उसमें से निकाल ली जाती है। वो कपास १०० पॉड में परीबी गयी थी, वह सम्भवतः १०० पॉर+१. पाल, प्रवा ११० पौर में बेची जाती है। प्रतः इस निया का . . 1 - मर्सियेर दे ला रिवियेर (Mercier de la Riviere) ने व्यापारवादियों से कहा था: "On n'échange pas de l'argent contre de l'argent" ["H TET ATT JET AT विनिमय नहीं करते"] (उप. पु., पृ. ४८६ )। एक ऐसी रचना में, जिसमें विशेष रूप से (ex professo) "व्यापार" तथा " सट्टेबाजी" की चर्चा की गयी है, हमें यह पढ़ने को मिलता है : “समस्त व्यापार विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का विनिमय होता है; और उसमें लाभ (क्या व्यापारी को होने वाला लाभ? ) इस एक भेद के कारण होता है। एक पौण्ड रोटी का एक पौण्ड रोटी के साथ विनिमय करने से.. कोई लाभ न होगा; इसीलिये व्यापार को जुए से बेहतर समझा जाता है, क्योंकि जुए में महज मुद्रा का मुद्रा के fra fafarura fut UTATGI" (Th. Corbet, "An Inquiry into the Causes and Modes of the Wealth of Individuals; or the Principles of Trade and Speculation Exp lained" [टोमस कोट , 'व्यक्तियों के धन के कारणों और स्मों की जांच ; अथवा व्यापार तथा सट्टेबाजी के सिद्धान्तों का स्पष्टीकरण'], London, 1841,पृ. ५।) यवपि कोइँट यह नहीं देखते कि मु-मु, यानी मुद्रा के साथ मुद्रा का विनिमय, केवल सौदागरों की पूंजी के ही नहीं, बल्कि हर प्रकार की पूंजी के परिचलन का धान रूप होता है, फिर भी वह कम से कम इतना जरूर मान लेते है कि यह रूप जुए में और एक विशेष प्रकार के व्यापार :-अर्थात् सट्टेबाजी-में समान रूप से पाया जाता है। किन्तु इसके बाद मैक्कुलक पाते हैं, और वह यह फ़रमाते है कि बेचने के लिए खरीदना. ही सट्टेबाजी है; और इस प्रकार सट्टेबाजी तथा व्यापार का अन्तर मिट जाता है। "हर वह सौदा, जिसमें कोई व्यक्ति बेचने के लिए पैदावार बरीदता है, असल में सट्टेबाजी होता है।" (MacCulloch, "A Dictionary Practical, &c., of Commerce" [मैक्कुलक, 'वाणिज्य का एक व्यावहारिक शब्दकोष इत्यादि'], London, 1847, पृ० १००६1) पिंटो, जो कि एमस्टरडम की स्टाक एक्सचेंज का पिण्डार है, इससे कहीं अधिक भोलेपन के साथ कहता है: "Le commerce est un jeu" ["व्यापार किस्मत का खेल होता है"] (ये शब्द उसने लॉक से लिये है); "et ce n'est pas avec des gueux qu'on peut gagner. Si l'on gagnait longtemps en tout avec tous, il faudrait rendre de bon accord les plus grandes parties du profit pour recom- mencer le jeu." ["पौर जिनके साथ हम यह बेल बेलते है, यदि वे भिबारी है, तो हम कुछ भी न जीत पायेंगे। यदि अन्त में जाकर हमारा कुछ माम हो भी जाये, तो जब हम एक बार फिर बेल शुरू करना चाहेंगे, तब हमें अपने मक्के का अधिकतर भाग फिर दे देना or" ] (Pinto, "Traité de la Circulation et du Crédit". Amsterdam, 1771, पृ. २३११)