पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/१७२

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पूंजी का सामान्य सूत्र १६६ . , मालों के परिचलन का सरलतम म है मा-मु-मा, पानी मानों का मुद्रा में पान्तरण पौर मुद्रा का पुनः मालों में परिवर्तन, अपना खरीदने के लिए बेचना। लेकिन इस म के सार-साथ हम एक पौर म पाते हैं, वो उससे विशिष्ट तौर पर भिन्न होता है। वह है मु-मा-मु, अर्थात् मुद्रा का मालों में पान्तरण और मालों का पुनः मुद्रा में परिवर्तन, प्रवका बेचने के लिए खरीदना। यो मुद्रा इस दूसरे ढंग से परिचालित होती है, वह उसके बारा पूंजी में पान्तरित हो जाती है, वह पूंची बन जाती है और यह अनी से संभावी पूंची होती है। अब पाइये, हम मु-मा-मु परिपच पर बोड़ा और ध्यान से विचार करें। दूसरे परिपक्ष की भांति यह परिपत्र भी दो परस्पर विरोधी अवस्याओं से गुजरता है। पहली अवस्था में, मु-मा में, यानी खरीद में, मुद्रा माल में बदल दी जाती है। दूसरी अवस्था में, मा- म में, यानी विकी में, माल फिर मुद्रा में बदल दिया जाता है। इन दो अवस्थामों का बोड़ ही बह एक गति होती है, जिसके द्वारा मुद्रा का किसी माल से विनिमय होता है और फिर उसी माल का पुनः मुद्रा के साथ विनिमय कर दिया जाता है। इस तरह कोई माल बेचने के उद्देश्य से खरीदा जाता है, या खरीदने और बेचने के बीच मका बो अन्तर है, यदि हम उसे अनदेखा कर हैं, तो इस तरह पहले मुद्रा से एक माल परीवा जाता है और फिर एक माल से मुद्रा खरीदी जाती है। पूरी प्रक्रिया का परिणाम, जिसमें उसकी अवस्थाओं का लोप हो जाता है, यह होता है कि मुद्रा का मुद्रा के साप विनिमय, यानी मु-मु, होता है। यदि मैं २,००० पॉर कपास १०० पौण में खरीदता हूं और २,००० पॉर कपास को ११० पौड में बेच देता हूं, तो वास्तव में मैं १०० पोज का ११० पौड के साथ, मुद्रा का मुद्रा के साथ विनिमय कर गलता हूं। अब यह बात स्पष्ट है कि यदि मु-मा-मु परिपत्र का उद्देश्य मुद्रा की दो बराबर रकमों का-१०० पोस के साथ १०० पोगका-विनिमय करना हो, तो यह परिपब बिल्कुल बेकार और निरर्थक होगा। उससे तो कंजूस पादमी की योजना कहीं अधिक सरल और अचूक होगी। वह अपने १०० पौण को परिचलन के खतरों में गलने के बजाय उनसे चिपककर बैठ जाता है। किन्तु फिर भी बह सौदागर, जिसने अपनी कपास के लिए १०० पोज रिये है, चाहे वह उसे ११० पौड में थे और चाहे १०० पौण में हीरे और चाहे तो ५० पौग में हीरे गले, उसकी मुद्रा हर हालत में एक विशिष्ट एवं सर्वथा नये प्रकार की गति से गुजरती है, जो उस गति से बिल्कुल भिन्न होती है, जिससे उस किसान के हाथ की मुद्रा को गुजरना होता है, वो भनान बेचता है और इस तरह वो मुद्रा प्राप्त करता है, उससे कपड़े खरीद लेता है। प्रतएव, हमें पहले मु-मा-मु और मा-म-मा, इन दो परिपत्रों के मों के विशिष्ट गुणों को समझना होगा। केवल उनके बाहरी सके अन्तर में दो वास्तविक अन्तर पिाहमा है, वह ऐसा करने पर अपने पाप प्रकट हो जायेगा। पाइये, पहले हम यह दे कि पोनों मों में समान बातें क्या है। 1 "Avec de l'argent on achète des marchandises et avec des marchandises on achete de Pargent" ["मुद्रा से हम वाणिज्य-वस्तुएं बरीदते हैं, और वाणिज्य-वस्तुओं ga yun yetet "] (Mercier de la Rivière, “L'ordre naturel et essentiel des sociétés politiques," 9. ¥¥2 )|