पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/१६९

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पूंजीवादी उत्पादन मुख्यतया और पावश्यक रूप से उन कालों में करते हैं, जिनमें अलग-अलग राष्ट्रों के बीच होने वाले पैदावार के विनिमय का परम्परागत संतुलन यकायक गड़बड़ा जाता है। और अन्त में, जब कभी सवाल खरीदने या भुगतान करने का नहीं, बल्कि एक देश से दूसरे देश में बन का स्थानांतरण करने का होता है और जब कभी था तो मंदियों में कुछ खास तरह की परिस्थितियां हो जाने के फलस्वरूप और या स्वयं उस उद्देश्य के कारण, जिसके लिए कि यह स्थानांतरण किया जा रहा है, मालों के रूप में स्थानांतरण करना असम्भव हो जाता है, तब सोना और चांदी सामाजिक धन के सार्वत्रिक मान्यता प्राप्त मूर्त स्म का काम करते हैं।' जिस प्रकार हर देश को अपने घरेलू परिचलन के लिए मुद्रा के एक सुरक्षित कोष की मावश्यकता होती है, उसी प्रकार उसे दुनिया की मंडियों में बाहरी परिचलन के लिए भी मुद्रा के एक सुरक्षित कोष की जरूरत होती है। इसलिए अपसंचित कोषों के कार्य प्रांशिक रूप से मुद्रा के उन कामों से उत्पन्न होते हैं, वो उसे घरेलू परिचलन और घरेलू भुगतानों के माध्यम के रूप में करने पड़ते हैं, और प्रशिक प में के मुद्रा के उन कामों से उत्पन्न होते हैं, यो उसे संसार की मुद्रा के रूप में करने पड़ते हैं। संसार की मुद्रा का काम करने के लिए सच्चे मुद्रा-माल को-पानी वास्तविक सोने और चांदी की-मावश्यकता होती है। इसलिए सर जेम्स स्टीवर्ट ने सोने और चांदी तथा उनके विशुद्ध स्थानीय प्रतिस्थापकों में भेद करने के लिए सोने और चांदी को "money of the world" ("संसार की मुद्रा") कहा है। सोना और चांदी एक दोहरी पारा में बहते हैं। एक पोर तो वे अपने मूल स्थानों से दुनिया की तमाम मंरियों में फैलते हैं, ताकि वहां वे परिचलन के विभिन्न राष्ट्रीय क्षेत्रों में . 1 . . की पोशाक पहना रखी है, उनको वह बड़ी सतर्कता के साथ अनदेखा कर जाते हैं। इस सूचीपत्र में वास्तविक पालोचना का और यहां तक कि ईमानदारी का भी जो प्रभाव है , वह उन परिच्छेदों में पराकाष्ठा पर पहुंच जाता है, जिनमें चलार्य के सिद्धान्त के इतिहास की चर्चा है। कारण यह है कि अपनी रचना के इस भाग में मैक्कुलक लार्ड प्रोवरस्टोन की खुशामद करने लगता है, जिनके बारे में वह कहते हैं कि वह "facile princeps argentariorum" ("सहज ही प्रधान अर्थदाता") है। उदाहरणतः मार्थिक सहायता के लिए, युद्ध चलाने के वास्ते दिये गये कजों के लिए या उन कों के लिए, जो बैंकों को इसलिए दिये जाते हैं कि वे फिर से नकद भुगतान शुरू कर - इन सब और दूसरे इस तरह के कामों के लिए मूल्य के केवल मुद्रा रूप की ही मावश्यकता होती है और किसी रूप की नहीं। ५ "कलधौत के रूप में भुगतान करने वाले देशों में अपसंचित कोषों का यंत्र अन्तर्राष्ट्रीय समंजन से सम्बंध रखने वाला प्रत्येक कार्य सामान्य परिचलन से बिना कोई प्रकट सहायता लिये हुए किस कुशलता के साथ कर सकता है, इसका मेरी दृष्टि में इससे बड़ा कोई प्रमाण नहीं है कि जब फ्रांस एक सत्यानाशी विदेशी आक्रमण के धक्के से अभी संभल ही रहा था, तभी उसने केवल २७ महीने के अरसे में लगभग २ करोड़ (पौण्ड स्टर्लिंग) की वह रकम मित्र शक्तियों को प्रासानी से प्रदा कर दी, जो उसपर जबर्दस्ती लाद दी गयी थी, और इस रकम का काफी बड़ा हिस्सा उसने सिक्के में अदा किया, और फिर भी उसकी घरेलू मुद्रा के चलन में कोई संकुचन या अव्यवस्था नहीं दिखाई दी, और यहां तक कि उसकी विनिमय- दरों में भी कोई चिन्ताजनक उतार-चढ़ाव नहीं पाया" (Fullarton, पृ. १३४)। [चौबे जर्मन संस्करण में जोड़ा गया फुटनोट: इससे भी ज्यादा जोरदार प्रमाण यह है कि उसी फ्रांस ने १८७१ और १८७३ के बीच, ३० महीने के अन्दर, युद्ध के हर्जाने के तौर पर इससे दस गुनी अधिक बड़ी रकम सहज ही प्रदा कर दी, और उसका भी काफ़ी बड़ा हिस्सा उसने सिक्कों के रूप में दिया।-के. ए.] . 4. पु.. -