पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/१६३

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१६० पूंजीवावी उत्पादन . में भाग लेने वाले मालों का परिमाण एकमूसरे के अनुरूप नहीं होते। वो माल परिचलन से हटा लिये गये हैं, उनका प्रतिनिधित्व करने वाली मुद्रा इसके बाद भी बालू रहती है। ऐसे माल परिचलन में भाग लेते रहते हैं, जिनका मुद्रा केस में सम-मूल्य प्रमी किसी भावी तिथि पर सामने नहीं पायेगा। इसके अलावा, हर रोज जो सौदे उपार किये जाते हैं और उसी रोज जिन भुगतानों को निबटाने की तारीख पड़ती है, उसकी मात्रायें बिल्कुल असमान होती है। ज्वार- मुद्रा प्रत्यक्ष रूप से भुगतान के साधन के रूप में मुद्रा के कार्य से उत्पन्न होती है। खरीदे हुए मालों के लिए किये गये कचों के प्रमाण-पत्र इन कयों को दूसरों के कंधों पर गलने के लिए चालू हो जाते हैं। दूसरी मोर, उचार की व्यवस्था का जितना विस्तार बढ़ता है, भुगतान के साधन के रूप में मुद्रा का कार्य उतना ही विस्तार प्राप्त करता जाता है। भुगतान के साधन का काम करते हुए मुद्रा अनेक ऐसे विचित्र रूप धारण करती है, जो केवल मुद्रा की ही विशेषता होते हैं। इन मों में वह बड़े-बड़े वाणिज्य सम्बंधी सौदों के क्षेत्र में अपने को जमा लेती है। दूसरी मोर, सोने और चांदी के बने सिक्के मुल्यतया फुटकर व्यापार के क्षेत्र में गल दिये जाते हैं। मालों का उत्पादन अब काफी विस्तार प्राप्त कर लेता है, तब मुद्रा मालों के परिचलन क्षेत्र के बाहर भी भुगतान के साधन का काम करने लगती है। मुद्रा यह माल बन जाती है, . . 1 . . . . 1"किसी एक खास दिन जो खरीदारियां या सौदे होते हैं, उनका उस रोज चालू रहने वाली मुद्रा की मात्रा पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन अधिकांशतया ये न्यूनाधिक समय बाद माने वाली तारीखों पर जो मुद्रा चालू होगी, उसके लिए नाना प्रकार के ड्राफ्ट बन जायेंगे.. 1... माज जो हुण्डियां मंजूर की जाती है या जो ऋण दिये जाते है, उनमें और कल को या परसों को जो हुंडियां मंजूर की जायेंगी या जो ऋण दिये जायेंगे, उनमें मात्रा, परिमाण या अवधि की कोई भी समानता होगी, यह कतई जरूरी नहीं है। नहीं, बल्कि जब माज की बहुत सी हुण्डियों और ऋण की रकमों के भुगतान की तारीख मायेगी, तब उनके साथ-साथ बहुत सी ऐसी देनदारियों को निबटाने का समय भी पा जायेगा, जिनका मूल कुछ पहले की सर्वपा पनिश्चित तारीखों का है ; उनके साथ-साथ कुछ १२ महीने, ६ महीने , ३ महीने पौर १ महीने की पुरानी हुण्डियों को निबटाने का समय भी मा जायेगा, और वे सब मिलकर एक खास दिन की सामान्य देनदारियों को बहुत बढ़ा देंगी... ("The Currency Theory Reviewed; in a Letter to the Scottish People.” By a Banker in England [' qat-feraint समालोचना; स्काट जनता के नाम एक पत्र ।' इंगलैण्ड के एक बैंकर द्वारा लिखित], Edinburgh; 1845, पृ० २९, ३०, अनेक स्थानों पर।) वाणिज्य की वास्तविक क्रियानों में कितनी कम नक़द मुद्रा की जरूरत होती है, इसके एक उदाहरण के रूप में मैं लन्दन की सबसे बड़ी कम्पनियों में से एक का वार्षिक माय तथा भुगतान का विवरण नीचे दे रहा हूं। १८५६ में उसने जो. अनेक सौदे किये थे और जो कई-कई करोड़ पॉड स्टलिंग के बैठने के, के.इस विवरण में दस लाव के अनुमाप के अनुसार परिवर्तित करके दिये गये है। "