पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/१३७

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१३४ पूंजीवादी उत्पादन . पान्तरण में, इसके विपरीत, अकेली मुद्रा ही हरकत करती मालूम होती है। अपने परिचलन की पहली अवस्था में माल मुद्रा से स्थान परिवर्तन करता है। तब यह, एक उपयोगी वस्तु के रूप में, परिचलन से बाहर निकलकर उपभोग के क्षेत्र में चला जाता है। उसके बदले में हमारे पास उसका मूल्य-रूप, यानी मुद्रा रह जाती है। उसके बाद वह अपने स्वाभाविक रूप में नहीं, बल्कि मुद्रा के रूप में अपने परिचलन की दूसरी अवस्था में से गुजरता है। इसलिये गति की निरन्तरता को केवल मुद्रा ही कायम रखती है। वही गति, जो, जहाँ तक माल का सम्बंध है, दो परस्पर विरोधी ढंग की प्रक्रियाओं का जोड़ होती है, जब उसपर मुद्रा की गति के रूप में विचार किया जाता है, तब केवल एक ही गति होती है, जिसमें मुद्रा नित नये मालों के साथ स्थान परिवर्तन करती रहती है। प्रतएव, मालों के परिचलन का जो परिणाम होता है, यानी एक माल द्वारा दूसरे माल का स्थान लेना,-वह ऐसा रूप धारण कर लेता है, जिससे मालूम पड़ता है कि यह मालों के रूप में परिवर्तन हो जाने का नतीजा नहीं है, बल्कि यह परिचलन के माध्यम के रूप में मुद्रा के कार्य का परिणाम है, और वह ऐसा कार्य है, जो ऊपर से देखने में सर्वथा गतिहीन मालूम होने वाले मालों का परिचलन करता है और जिन हाथों में वे गैर-उपयोग-मूल्य होते हैं, उनसे उनको निकालकर उन हाथों में पहुंचाता है, जिनमें वे उपयोग मूल्य होते हैं, और सो भी उस दिशा में, जो सदा मुद्रा की गति की उल्टी विशा होती है। मुद्रा लगातार मालों को परिचलन के बाहर निकालती और अब उनका स्थान ग्रहण करती जाती है। इस तरह वह लगातार अपने प्रस्थान-बिनु से अधिकाधिक दूर हटती जाती है। इसलिये , मुद्रा की गति यद्यपि केवल मालों के परिचलन की ही अभिव्यंजना होती है, फिर भी इसकी उल्टी बात ही सत्य प्रतीत होती है और लगता है कि मालों का परिचलन मुद्रा की गति का परिणाम है।' इसके अलावा, मुद्रा केवल इसीलिये परिचलन के माध्यम का काम करती है कि उसके रूप में मालों के मूल्य स्वतंत्र वास्तविकता प्राप्त कर लेते हैं, अतएव, परिचलन के माध्यम के रूप में मुद्रा की गति वास्तव में केवल मालों की ही गति होती है, जिसके दौरान में उनके प बदलते जाते हैं। इसलिये मुद्रा के चलन में यह तथ्य साफ-साफ दिखाई देना चाहिये। पुनांचे, मिसाल के तौर पर, कपड़ा सबसे पहले अपने माल स्वल्म को अपने मुद्रा-रूप में बदल गलता है। उसके पहले मान्तरण मा-मुका दूसरा पर, यानी मुद्रा-प, तब उसके अन्तिम रूपान्तरण मु-मा का पहला पर बन जाता है, जब कि वह फिर बाइबल में बदल जाता है। - 1 जहां माल बार-बार बेचा जाता है, और ऐसी समस्या का फ़िलहाल हमारे लिये कोई अस्तित्व नहीं है, - वहां पर भी जब वह पाखिरी बार बेच दिया जाता है, तब वह परिचलन के क्षेत्र से निकलकर उपभोग के क्षेत्र में चला जाता है, जहां वह या तो जीवन-निर्वाह के साधन की तरह, या उत्पादन के साधन की तरह काम में भाता है। 8«11 (l'argent) n'a d'autre mouvement que celui qui lui est imprimé par les productions" [" उस (मुद्रा) की उस गति के सिवा और कोई गति नहीं होती, जो श्रम से उत्पन्न वस्तुएं उसमें पैदा कर देती है"] (Le Trosne, उप० पु०, पृ० १५५)। 'यहां पर ("चुनांचे, मिसाल के तौर पर... से लेकर "गुंथे हुए होने का भी प्रतिविम्ब है" तक) अंग्रेजी (मतः हिन्दी) पाठ चौघे जर्मन संस्करण के अनुसार बदल दिया गया है।-सम्पा.