लेखकों के रूप में बुलाया गया। अक्तूबर १८४२ में मार्क्स उसके प्रधान सम्पादक हो गये और बोन से कोलोन चले आये। मार्क्स के सम्पादन-काल में पत्र का रुझान अधिकाधिक क्रान्तिकारी-जनवादी होता गया , इसलिए सरकार ने पहले-पहल पत्र पर दोहरी और तेहरी सेन्सर बिठायी ; फिर १ जनवरी १८४३ से उसे एकदम बन्द ही कर देने का निश्चय कर लिया। मार्क्स को उस तिथि से पहले ही अपना सम्पादन छोड़ना पड़ा। परन्तु उनके अलग होने से भी पत्र बच नहीं सका। मार्च १८४३ में वह ठप हो गया। ‘राइनिशे त्साइटुङ' में प्रकाशित , मार्क्स के अधिक महत्वपूर्ण लेखों में से - उन लेखों के अतिरिक्त जिनका उल्लेख नीचे किया गया है (‘साहित्य’ ३ देखिये)- एंगेल्स ने एक और लेख की चर्चा की है जो मार्क्स ने मोज़ेल घाटी के शराब पैदा करनेवाले किसानों की स्थिति के बारे में लिखा था । मार्क्स ने अपने पत्रकार-अनुभव से जान लिया कि अभी वह राजनीतिक अर्थशास्त्र से भली भांति परिचित नहीं हैं, इसलिए वह उसका अध्ययन करने में जुट गये।
१८४३ में मार्क्स ने क्रेयत्स्नाख में जेनी फ़ॉन वेस्टफ़ालेन से विवाह किया। जेनी उनकी बचपन की मित्र थी, और मार्क्स जब विद्यार्थी थे, तभी उनसे बातचीत पक्की हो गयी थी। जेनी का जन्म प्रशा के अभिजातों के एक प्रतिक्रियावादी परिवार में हुआ था। १८५०-१८५८ के अत्यन्त प्रतिक्रियावादी काल में उनका बड़ा भाई प्रशा का गृह-मंत्री रहा था। १८४३ की शरद् में मार्क्स, एक आमूल-परिवर्तनवादी विचारों की पत्रिका निकालने के उद्देश्य से पेरिस आये। उनका साथ देनेवाले आर्नोल्ड रूगे थे (१८०२-१८८० ; वामपंथी हेगेलवादी ; १८२५ से १८३० तक जेल में; १८४८ के बाद राजनीतिक उत्प्रवासी ; १८६६-१८७० के बाद बिस्मार्क के अनुयायी)। इस पत्रिका का , जिसका नाम 'जर्मन-फ्रांसीसी वार्षिक' था , केवल एक ही अंक प्रकाशित हुआ। जर्मनी में गुप्त वितरण की कठिनाइयों और रूगे से मतभेद होने के कारण उसे बन्द कर देना पड़ा। इस पत्रिका में प्रकाशित अपने लेखों में मार्क्स अभी से क्रान्तिकारी दिखायी देते हैं। वह "सभी बातों की निर्मम आलोचना" विशेषकर “शस्त्रास्त्रों की आलोचना" का समर्थन करते हैं और जनता और सर्वहारा वर्ग से अपील करते हैं।
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