³वामपंथी हेगेलवादी अथवा तरुण हेगेलवादी - १९ वीं शताब्दी के चौथ और पांचवें दशकों में यह जर्मन दर्शन की आदर्शवादी प्रवृत्ति थी। इसने हेगेल के दर्शन से आमूल-परिवर्तनवादी निष्कर्ष निकालने और जर्मनी के पूंजीवादी रूप-परिवर्तन की आवश्यकता प्रमाणित करने का प्रयत्न किया। द० स्ट्रॉस, ब० और ए० बावेर, म० स्टर्नर इत्यादि वामपंथी हेगेलवादियों के प्रतिनिधि थे। कुछ समय तक ल० फ़ायरबाख और तरुण का० मार्क्स और फे० एंगेल्स इन हेगेलवादियों से संबद्ध थे। पर बाद में इन्होंने तरुण हेगेलवादियों के साथ अपने संबंध तोड़ दिये और 'पवित्र परिवार' (१८४४) तथा 'जर्मन विचारधारा' (१८४५-४६) में उनके दर्शन के आदर्शवादी तथा निम्न-पूंजीवादी स्वरूप की आलोचना की। - पृष्ठ ६
³प्रस्तुत संस्करण में मार्क्सवाद के और मार्क्सवाद पर लिखे गये साहित्य
का सिंहावलोकन नहीं दिया गया है। - पृष्ठ ७
⁴यहां का० मार्क्स के 'मोज़ेल संवाददाता की रिहाई' शीर्षक लेख की ओर
संकेत है। -पृष्ठ ७
⁵प्रुदो (१८०६-१८६५) - फ्रांसीसी निम्न-पूंजीवादी समाजवादी और
अराजकतावादी ; मार्क्सवाद-विरोधी और विज्ञान-विरोधी प्रूदोंवाद के
संस्थापक। निम्न-पूंजीवादी दृष्टिकोण से बड़ी पूंजीवादी संपत्ति की
आलोचना करते हुए प्रूदों निजी संपत्ति को शाश्वत बनाने का सपना
देखते थे। उनका सुझाव था कि जन
"विनिमय" बैंकों
की स्थापना की जाये। वह मानते थे कि इनकी सहायता से मजदूरों
को स्वयं अपने उत्पादन-साधन मिल जायेंगे, मजदूर कारीगर बन
जायेंगे और उनके माल की “न्यायसंगत" बिक्री सुनिश्चित होगी। प्रूदों
सर्वहारा की ऐतिहासिक भूमिका और महत्व समझ न पाये और उन्होंने
वर्ग-संघर्ष, सर्वहारा-क्रांति और सर्वहारा के अधिनायकत्व के प्रति
नकारात्मक रुख अपनाया। अराजकतावादी होने के कारण उन्होंने राज्य
की आवश्यकता अस्वीकार की। पहली इंटरनेशनल पर अपने विचार
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