पृष्ठ:कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स.djvu/४१

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जाती है जो एक दूसरे से अपरिचित होते हैं। परस्पर प्रतियोगिता के कारण उनके हित अलग-अलग होते हैं। लेकिन अपनी मजूरी बनाये रखने की आवश्यकता स्वामी के विरुद्ध एक समान हित का कारण बनती है और उन्हें विरोध की समान विचार-भूमि पर एक कर देती है। यह मेल पहले अलग-अलग होता है, उसके बाद उससे गुट बनते हैं और संयुक्त पूंजी से सदा मुकाबला होने पर उनके लिए मजूरी बनाये रखने से अपनी जमात को बनाये रखना ज्यादा जरूरी हो जाता है ... इस संघर्ष में - एक अच्छे खासे गृहयुद्ध में- आगामी युद्ध के लिए सभी आवश्यक तत्व विकसित और संयुक्त होते हैं। एक बार इस बिन्दु तक पहुंचने पर जमात राजनीतिक रूप ग्रहण कर लेती है।" यहां पर बीसों वर्ष के लिए, उस लम्बी अवधि के लिए जब मजदूर “भावी संग्राम" की तैयारी करते हैं, हमें आर्थिक संघर्ष और ट्रेड-यूनियन आन्दोलन का कार्यक्रम और उसकी कार्यनीति का निर्देश मिल जाता है। इसके साथ- साथ ब्रिटेन के मजदूर-आन्दोलन का हवाला देते हुए मार्क्स और एंगेल्स ने जो कई बातें कही हैं , हमें उनकी ओर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया है कि प्रौद्योगिक “समृद्धि" के फलस्वरूप 'मजदूरों को खरीद लेने के प्रयत्न किये जाते हैं" ('पत्र-व्यवहार', खंड १, पृष्ठ १३६ )¹⁴ जिससे कि वे संघर्ष से हट जायें। उन्होंने बताया है कि कैसे साधारणतः यह समृद्धि “ मजदूरों का नैतिक पतन कर देती है" (खंड २, पृष्ठ २१८); कैसे ब्रिटेन के सर्वहारा वर्ग का "पूंजीवादीकरण" हो रहा है ; कैसे “इस सबसे अधिक पूंजीवादी जाति (अंग्रेज़) का चरम ध्येय एक पूंजीवादी अभिजात-वर्ग और उसके साथ पूंजीवादी सर्वहारा वर्ग तथा एक पूंजीवादी वर्ग की स्थापना करना है" (खंड २, पृष्ठ २६० )¹⁵; कैसे ब्रिटिश सर्वहारा वर्ग की "क्रान्तिकारी शक्ति" छीजती जाती है (खंड ३, पृष्ठ १२४); कैसे काफ़ी समय तक राह देखनी होगी “इसके पहले कि ब्रिटिश मजदूर प्रकटतः अपने पूंजीवादी पतन से बच सकें" ( खंड ३, पृष्ठ १२७); कैसे ब्रिटिश मजदूर आन्दोलन में “चार्टिस्टों का दम नहीं है"¹⁶ (१८६६, खंड ३, पृष्ठ ३०५)¹⁷ ; कैसे ब्रिटिश मजदूरों के नेता “आमूल-परिवर्तनवादी पूंजीवादी

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