पृष्ठ:कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स.djvu/१८

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का "समाज-विज्ञान" और इतिहास लेखन अधिक से अधिक जहां-तहां से अपरिपक्व सामग्री उठाकर रख देते थे, और ऐतिहासिक क्रम के कुछ एक पहलुओं का वर्णन कर देते थे। मार्क्सवाद ने विरोधी प्रवृत्तियों के समन्वय को लेकर उसकी छानबीन की, समाज के विभिन्न वर्गों की उत्पादन-पद्धति और उनके जीवनक्रम की ऐसी परिस्थितियों के रूप में उन प्रवृत्तियों का सार निकाला कि उनकी निश्चित शब्दों में व्याख्या हो सके। मार्क्सवाद ने कुछ "विशिष्ट" विचारों के चयन में या उनकी व्याख्या करने में निरंकुशता और व्यक्तिगत भावना को ठुकराया और दिखाया कि किस तरह निरपवाद रूप से सभी विभिन्न प्रवृत्तियों और विचारों का उद्गम उत्पादन की भौतिक शक्तियों की परिस्थितियों में है। मार्क्सवाद ने सामाजिक-आर्थिक संगठनों की उन्नति , विकास और ह्रास के क्रम के एक व्यापक और सर्वग्राही अध्ययन का मार्ग दिखाया। मनुष्य अपने इतिहास के विधायक हैं। परन्तु उनकी कार्य-प्रेरणा , अर्थात् जन-समूहों की कार्य-प्रेरणा को निश्चित करनेवाला कौन है ? विरोधी विचारों और प्रयत्नों के संघर्ष का कारण क्या है ? मानव-समाजों के सम्पूर्ण समूह में इन संघर्षों का पंजीभूत परिणाम क्या होता है ? भौतिक जीवन के उत्पादन की वस्तुगत परिस्थितियां क्या हैं जो मनुष्य के सम्पूर्ण ऐतिहासिक क्रिया-कलाप का आधार बनती हैं ? इन परिस्थितियों के विकास का नियम क्या है ? इन सब बातों की ओर मार्क्स ने ध्यान दिलाया और वह मार्ग दिखाया जिससे कि अपनी असीम विविधता और विरोध के होते हुए भी सूत्रबद्ध नियमित क्रम के रूप में इतिहास का वैज्ञानिक अध्ययन हो सके।

वर्ग-संघर्ष

किसी भी समाज में कुछ लोगों के प्रयत्न दूसरों के प्रयत्नों से टक्कर खाते हैं ; सामाजिक जीवन अन्तर्विरोधों से पूर्ण है ; इतिहास हमें जातियों और समाजों के संघर्ष का परिचय देता है और बताता है कि स्वयं प्रत्येक जाति और समाज के भीतर संघर्ष होता है; क्रान्ति और प्रतिक्रिया , शान्ति और युद्ध, गतिरोध और द्रुतविकास या ह्रास के युग आते-जाते

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