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कायाकल्प]
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चक्रधर ने ठाकुर साहब के मन का भाव ताडकर दृढ़ता से कहा-महाराज, क्षमा कीजिएगा, मै आपका सेवक हूँ, पर रानी जी का भी सेवक हूँ। उनका शत्रु नही हूँ। और वह दोनों सिह और सिहनी की भाँति लड़ सकते हैं। मै गीदड़ की भॉति स्वार्थ के लिए बीच मे कूदना अपमान-जनक समझता हूँ। मै वहाँ तक तो आपकी सेवा कर सकता हूँ, जहाँ तक रानीजी का अहित न हो । मै तो दोनों का भिक्षुक हूँ।

ठाकुर साहब दिल मे शरमाये, पर इसके साथ मुंशीजी पर उनका विश्वास और हो गया । बात बनाते हुए बोले-नहीं, नहीं, मेरा मतलब आपने गलत समझा। छी: ! मै इतना नीच नही । मै केवल इसलिए पूछता था कि नया रसोइया है या नहीं । अगर वह सुपात्र है, तो वही मेरा भी भोजन बनाता रहेगा। ठाकुर साहब ने बात तो बनायी, पर उन्हें स्वय ज्ञात हो गया कि बात बनी नहीं ।

झेप मिटाने को वह एक समाचार पत्र देखने लगे, मानों उन्हें विश्वास हो गया शीजी ने उनकी बात सच मान ली ।

इतने मे हिरिया ने आकर मुंशीजी से कहा--बाबा, मालकिन ने कहा है कि श्राप लगे, तो मुझसे मिल लीजिएगा।

ठाकुर साहब ने गरज कर कहा-ऐसी क्या बात है, जिसको कहने की इतनी जल्दी है। इन बेचारे को देर हो रही है, कुछ निठल्ले थोड़े ही है कि बैठे बैठे औरतों का सुना करें । जा, अन्दर बैठ ।

यह कह कर ठाकुर साहब उठ खड़े हुए, मानो मुशी जी को विदा कर रहे हैं । वह ती को उनसे बातें करने का अवसर न देना चाहते थे । मुशीजी को भी अब विवश विदा माँगनी पड़ी।

मुंशीजी यहाँ से चले तो उनके दिल मे एक शंका समायी हुई थी कि ठाकुर साहब मुझसे नाराज तो नहीं हो गये। हाँ, इतना सन्तोष था कि मैने कोई बुरा काम नहीं । यदि वह सच्ची बात कहने के लिए नाराज हो जाते हैं, तो हो जायँ। मै क्यों साहब का बुरा चेतू । बहुत होगा, राजा होने पर मुझे जवाब दे देगे । इसकी क्या चिंता। इस विचार से मुंशीजी और अकड़कर घोड़े पर बैठ गये। वह इतने खुश थे, । हवा में उड़े जा रहे हैं। उनकी आत्मा कभी इतनी गौरवोन्मत्त न हुई थी। ताओं को कभी उन्होंने इतना तुच्छ न समझा था।


चक्रधर की कीर्ति उनसे पहले ही बनारस पहुंच चुकी थी। उनके मित्र और अन्य । उनसे मिलने के लिए उत्सुक हो रहे थे । बार बार पाते थे और पूछकर लौट जाते जब वह पाँचवें दिन घर पहुंचे तो लोग मिलने और बधाई देने या पहुँचे । नगर सभ्य समाज मुक्तकंठ से उनकी तारीफ कर रहा था । यबपि चक्रघर गभीर आदमी पर अपनी कीति की प्रशंसा से उन्हें सच्चा अानन्द मिल रहा था । मुसलमानो की