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कायाकल्प]
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की सृष्टि की है और वही इसे चलाता है। जो कुछ उसको इच्छा होगी, वही होगा। फिर उसकी चिन्ता का भार क्यों लें?

राजा—यह तो बहुत दिनों से जानता हूँ। पर इससे चित्त को शान्ति नहीं होती! अब मुझे मालूम हो रहा है कि संसार में मन लगाना ही सारे दुःख का मूल है। जगदीशपुर-राज्य को भोगना ही मेरे जीवन का लक्ष्य था। मैंने अपने जीवन में जो कुछ किया, इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए। अपने जीवन पर कभी एक क्षण के लिए भी विचार नहीं किया। जीवन का सदुपयोग कैसे होगा, इस पर कभी ध्यान नहीं दिया। जब राज्य न था, तब अवश्य कुछ दिनों के लिए सेवा के भाव मन में जागृत हुए थे—वह भी बाबू चक्रधर के सत्संग से। राज्य मिलते ही मेरी कायापलट हो गयी। फिर कभी आत्म-चिन्तन की नौबत न आयी। शंखधर को पाकर मैं निहाल हो गया। मेरे जीवन में ज्योति-सी आ गयी। मैं सब कुछ पा गया; पर अबकी जब से शंखधर लौटा है, मुझे उसके विषय में भयंकर शंका हो रही है। आपने मेरे भाई साहब को देखा था?

मुंशी—जी नहीं, उन दिनों तो मैं यहाँ से बाहर नौकर था। अजी, तब इल्म की कदर थी। मिडिल पास करते ही सरकारी नौकरी मिल गयी थी। स्कूल में कोई लड़का मेरी टक्कर का न था। अध्यापकों को भी मेरी बुद्धि पर आश्चर्य होता था। बड़े पण्डितजी कहा करते थे, यह लड़का एक दिन ओहदे पर पहुँचेगा। उनकी भविष्यवाणी उस दिन पूरी हुई, जब मैं तहसीलदारी पर पहुँचा।

राजा—भाई साहब की सूरत आज तक मेरी आँखों में फिर रही है। यह देखिये, उनकी तसवीर है।

राजा साहब ने एक फोटो निकालकर मुंशीजी को दिखाया। मुंशीजी उसे देखते ही बोले—यह तो शंखधर की तसवीर है।

राजा—नहीं साहब, यह मेरे बड़े भाई का फोटो है। शंखधर ने तो अभी तक तसवीर ही नहीं खिंचवायी न-जाने तसवीर खिंचवाने से उसे क्यों चिढ़ है।

मुन्शी—मैं इसे कैसे मान लूँ? यह तसवीर साफ शंखधर की है।

राजा—तो मालूम हो गया कि मेरी आँखें धोखा नहीं खा रही थीं।

राजा—जी हाँ, यकीन मानिए।

मुंशी—तब तो बड़ी विचित्र बात है।

राजा—अब आपसे क्या अर्ज करूँ? मुझे बड़ी शंका हो रही है, रात को नींद नहीं आती। दिन को बैठे-बैठे चौंक पड़ता हूँ। दो प्राणियों की सूरतें कभी इतनी नहीं मिलतीं। भाई साहब ने ही फिर मेरे घर में जन्म लिया है, इसमें मुझे बिल्कुल शंका नहीं रही। ईश्वर ही जाने, क्यों उन्होंने कृपा की है, अगर शंखधर का बाल भी बाँका हुआ, तो मेरे प्राण न बचेंगे।

मुन्शी—ईश्वर चाहेंगे तो सब कुशल होगी। घबराने की कोई बात नहीं। कभी-कभी ऐसा होता है।

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