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[कायाकल्प
 

लायेगा? वह चाहे संन्यासी ही के रूप में आयें, पर आयेंगे जरूर, और जब अब की वह उनके चरणों को पकड़ लेगी, तो फिर वह नहीं छुड़ा सकेंगे। शङ्खधर के राजसिंहासन पर बैठ जाने के बाद यदि स्वामीजी की इच्छा हुई, तो वह उनके साथ चली जायगी और शेष जीवन उनके चरणों की सेवा में काटेगी। इस वक्त वहाँ जाकर वह अपनी प्रेमकांक्षाओं की वेदी पर अपने पुत्र के जीवन को बलिदान न करेगी। जैसे इतने दिनों पति-वियोग में जली है, उसी तरह कुछ दिन और जलेगी। उसने मन में यह निश्चय करके शङ्खधर के पत्र का उत्तर दे दिया। लिखा—मैं बहुत बीमार हूँ, बचने की कोई आशा नहीं, बस, एक बार तुम्हें देखने की अभिलाषा है। तुम आ जाओ, तो शायद जी उठूँ, लेकिन न आये तो समझ लो, अम्माँ मर गयीं। अहल्या का विश्वास था कि यह पत्र पढ़कर शङ्खधर दौड़ा चला आयेगा और स्वामी भी यदि उसके साथ न आयेंगे तो उसे आने से रोकेंगे भी नहीं।

अभागिनी अहल्या! तू फिर धन-लिप्सा के जाल फँस गयी। क्या इच्छाएँ भी राक्षसों की भाँति अपने ही रक्त से उत्पन्न होती हैं? वे कितनी अजेय है! जब ऐसा ज्ञात होने लगा कि वे निर्जीव हो गयी हैं, तो सहसा वे फिर जी उठीं और संख्या में पहले से शतगुण होकर। १५ वर्ष की दारुण वेदना एक क्षण में विस्मृत हो गयी। धन्य रे तेरी माया!

सन्ध्या-समय वागीश्वरी ने पूछा—क्या जाने का इरादा नहीं है?

अहल्या ने शर्माते हुए कहा—अभी तो अम्माँजी मैंने लल्लू को बुलाया है। अगर वह न आवेगा, तो चली जाऊँगी।

वागीश्वरी—लल्लू के साथ क्या चक्रधर भी आ जायँगे? तू ऐसा अवसर पाकर भी छोड़ देती है। न-जाने तुझपर क्या आनेवाली है!

अहल्या अपने सारे दुःख भूलकर शङ्खधर के राज्याभिषेक की कल्पना में विभोर हो गयी।


४९

गाड़ी अन्धकार को चीरती हुई चली जाती थी। सहसा शङ्खधर 'हर्षपुर' का नाम सुनकर चौंक पड़ा। वह भूल गया, मैं कहाँ जा रहा हूँ, किस काम से जा रहा हूँ, और मेरे रुक जाने से कितना बड़ा अनर्थ हो जायगा? किसी अज्ञात शक्ति ने उसे गाडी खोलकर उतर आने पर मजबूर कर दिया। उसने स्टेशन को गौर से देखा। उसे जान पड़ा, मानो उसने इसे पहले भी देखा है। वह एक क्षण तक आत्म-विस्मृति की दशा में खड़ा रहा। फिर टहलता हुआ स्टेशन के बाहर चला गया।

टिकट बाबू ने पूछा—आपका टिकट तो आगरे का है?

शङ्खधर ने लापरवाही से कहा—कोई हरज नहीं।

वह स्टेशन से बाहर निकला, तो उस समय अन्धकार में भी वह स्थान परिचित मालूम हुआ। ऐसा जान पड़ा, मानो बहुत दिनों तक यहाँ रहा है। वह सड़कों पर हो