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कायाकल्प]
 

मौलवी-जनाव, जिहाद करना कोई खालाजी का घर नहीं । श्राप दुनिया के वन्दे हैं, दीन हकीकत क्या समझे ?

ख्वाग-बना है, आपकी शहादत तो कही नहीं गयी है । जिल्लत तो हमारी है ।। मौलवी-भाइयो, आप लोग ख्वाजा साहब की ज्यादती देख रहे हैं । श्राप ही फैसला कीजिए कि दीन मामलात मे उलमा का फैसला वाजिब है, या उमरा का एक मोटेताजे दटियल श्रादमी ने कहा- आप विस्मिल्लाह कीजिए । उमरा को.दीन से कोई सरोकार नहीं।

यह सुनते ही एक श्रादमी बड़ा सा छुरा लेकर निकल पड़ा और कई यादमी गाय की सींगें पकड़ने लगे। गाय अब तक तो चुपचाप खड़ी थी। छुरा देखते ही वह छटपटाने लगी। चक्रघर यह दृश्य देखकर तिलमिला उठे। निराशा और क्रोध से काँपते हुए बोले भाइयो, एक गरीब, वेकस जानवर को मारना बहादुरी नहीं। खुदा वेकसों के खून से नहीं खुश होता। अगर नवॉमर्दी दिखानी है तो क्सिी शेर का शिक्षार करो, किसी चीते को मारो, किसी जगली सुअर का पीछा करो। उसकी कुरबानी से, मुमकिन है, खुदा खुश हो । जब तक हिन्दू सामने खड़े थे, किसी को हिम्मत न पड़ी कि छुरा हाथ में लेता। नव वे चले गये, तो आप लोग शेर हो गये ?

एक आदमी-तो क्यों चले गये ? मैदान में खड़े क्यो न रहे ? गौ-रक्षा का जोश दिखाते । दुम दबाकर भाग क्यों खड़े हुए ?

चक्रधर-भाग नही खड़े हुए और न लड़ने मे वे आपसे कम ही है। उनकी समझ में यह बात आ गयी कि जानवर की हिमायत में इन्सान का खून बहाना इन्सान को मुनासिब नहीं।

मौलवी-शुक्र है, उन्हें इतनी समझ तो अायी !

चक्रधर-लेकिन आप तो अभी तक उनकी दिलनारी पर कमर बाँधे हुए है। खैर, श्रापको अख्तियार है, जो चाहें, करें। मगर मै यकीन के साथ कहता हूँ कि यह दिलजारी एक दिन रग लायेगी। यह न समझिए कि इस वक्त कोई हिन्दू मैदान में नहीं है । हर एक कुरबानी हिन्दुस्तान के २१ करोड़ हिन्दुओं के दिलों मे जख्म कर देती है, और इतनी बड़ी तादाद के दिलों को दुखाना बड़ी से बड़ी कौम के लिए भी एक दिन पछतावे का वाइस हो सक्ता है। अगर आपकी गिना है, तो शोक से खाइए । लाखों गौएँ रोज करल होती है, हिन्दू सिर नहीं उठाते । फिर यह क्योंकर मुमकिन है कि वह आपके मजहबी मामले में दखल दें ? हिन्दुओ से ज्यादा वेतअस्सुव कौम दुनिया में नहीं है, लेकिन जव श्राप उनकी दिलजारी और महन दिलजारी के लिए कुरबानी करते हैं, तो उनको जरूर सदमा होता है । और उनके दिलों में जो शोला उठता है, उसका श्राप कयास नहीं कर सकते। अगर श्रापको यकीन न आये,तो देख लीनिये कि इस गाय के साथ ही एक हिन्दू कितनी खुशी से अपनी जान दे देता है!