वानी नहीं हुई । अगर आज हम यहाँ कुरबानी करने देंगे, तो कौन कह सकता है कि कल को हमारे मन्दिर के सामने गौ-हत्या न होगी!
कई आवाजें एक साथ आयी- हम मर मिटेंगे, पर यहाँ कुरबानी न होने देंगे।
यशोदा-- खूब सोच लो, क्या करने जा रहे हो। वह लोग सब तरह से लैस.हैं । ऐसा न हो कि तुम लाठियो के पहले ही वार में वहाँ से भाग खडे हो ?
कई आवाजें एक साथ न्यायी-भाइयो, सुन लो; अगर कोई पीछे कदम हटायेगा,तो उसे गौ-हत्या का पाप लगेगा।
एक सिक्ख जवान-अजी देखिए, छक्के छुड़ा देगे।
एक पजाबी हिन्दू-एक एक को गरदन तोड के रख दूंगा।
आदमियों को यों उत्तेजित करके यशोदानन्दन आगे बढे और जनता 'महावीर'और 'श्रीरामचन्द्र' की जय ध्वनि से वायुमण्डल को कम्पायमान करती हुई उनके पीछे चली। उधर मुसलमानो ने भी डण्डे सँभाले । करीब था कि दोनों दलो मे मुठभेड़ हो जाय कि एकाएक चक्रधर आगे बढ़कर यशोदानन्दन के सामने खड़े हो गये और विनीत, किन्तु दृढ़ भाव से बोले-आप अगर उधर जाते हैं, तो मेरी छाती पर पाँव रखकर जाइए । मेरे देखते यह अनर्थ न होने पायेगा ।
यशोदानन्दन ने चिढ़कर कहा हट जानो। अगर एक क्षण की भी देर हुई, तो फिर पछताने के सिवा और कुछ हाथ न आयेगा।
चक्रधर-पाप लोग वहाँ जाकर करेंगे क्या ?
यशोदा० --- हम इन जालिमों से गौ को छीन लेंगे।
चक्रधर-अहिसा का नियम गौत्री ही के लिए नहीं, मनुष्यों के लिए भी तो है ।
यशोदा-कैसी बातें करते हो, जी! क्या यहाँ खडे होकर अपनी ऑखो से गो की हत्या होते देखें?
चक्रधर-अगर आप एक बार दिल थामकर देख लेंगे, तो यकीन है कि फिर.आपको कभी यह दृश्य न देखना पडे । ।
यशोदा-हम इतने उदार नहीं है ।
चक्रधर-ऐसे अवसर पर भी ?
थशोदा०-हम महान्-से-महान् उद्देश्य के लिए भी यह मूल्य नहीं दे सकते । इन दामों स्वर्ग भी महँगा है।
चक्रधर-मित्रो, जरा विचार से काम लो।
कई अावाजे-विचार से काम लेना कायरों का काम है।
एक सिक्ख जवान-जब डण्डे से काम लेने का मौका पाए, तो विचार को बन्द करके रख देना चाहिए।
चक्रधर-तो फिर जाइए; लेकिन उस गौ को बचाने के लिए आप को अपने एक -भाई का खून करना पड़ेगा।