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अंक २, दृश्य ६
लीला-हॉ-हॉ, बताओ, वह कहाँ से आया ?
लालसा-नदी-पार के देश से। आज तक इधर के लोग न-जाने कब से यही जानते थे कि उस पार न जाना, उधर अज्ञात प्रदेश है। परंतु शांतिदेव ने साहस करके उधर की यात्रा की थी, वह बहुत-से पशुओ और असभ्य मनुष्यों से बचते हुए वहाँ से यह सोना ले आये। जब नदी के इस पार आये, तो लोगो ने देख लिया, और इसी से उनकी हत्या भी हुई।
कामना-हाँ । ( आश्चर्य प्रगट करती है)
लालसा-हॉ रानी, और उन हत्यारो को आन तक दंड भी नहीं मिला।
लीला-रानी, उसमे तो व्यर्थ विलम्ब हो रहा है। अवश्य कोई कठोर दंड उन्हे मिलना चाहिये । बेचारा शांतिदेव ।
कामना-अच्छा, चलो, आज मृगया का महो- त्सव है, वही सब प्रबंध हो जायगा।
(सब जाते है)
[पट-परिवर्तन]