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अंक २, दृश्य ५
है। उसमे पदार्थो के द्वारा नई सृष्टि करूंगा, फिर
चाहे उस सृष्टि के साथ मै भी कुहेलिका-सागर में
विलीन हो जाऊँ । चलूॅ उपासना-गृह में ।
पाँचवाँ दृश्य
स्थान-उपासना गृह नवीन रूप में
(विलास सब लोगो को समझा रहा है, सब लोगों को खड़े होकर अभिवादन करना सिखला रहा है । बीच मे बेदी, सामने सिंहासन, और दोनो ओर चौकियाँ हैं । मंडलाकार लोग एकत्रित है। राजदंड हाथ मे लिये हुए कामना रानी का प्रवेश। पीछे सेनापति विनोद और सैनिक)
कामना-(सिहासन के नीचे वेदी के सामने खड़ी होकर ) हे परमेश्वर । तुम सबसे उत्तम हो, सबसे महान् हो, तुम्हारी जय हो।
सब-तुम्हारी जय हो।
विलास-आप आसन ग्रहण करें ।
(कामना मच पर बैठती है।)
कामना-आप लोगो को सुशासन की आव- श्यकता हो गई है; क्योकि इस देश मे अपराधी की
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