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कामना
 

विवेक-परंतु प्यारे बच्चो, वह पिता स्नेह करता है. यह हम लोग कैसे भूल जायें, और उससे डरने लगे?

कामना-तुम्हे प्रमाण मिलेगा कि हम लोगो मे अपराध है; उन्हीं अपराधो से हम लोग रोगी होत और उसके बाद इस द्वीप से निकाल दिये जाते है। उन अपराधो को हम धीरे-धीरे छोड़ना होगा।

विवेक-तो फिर सब कर्म केवल अपराध ही हो जायेंगे-

और सब-हम लोग उन अपराधो को जानेंगे, और त्याग करेगे। रोग और निकाले जाने से बचेंगे।

विलास-सबका कल्याण होगा।

( एक दूसरे से आलिगन करते हुए मद्यपो की-सी प्रसन्नता

प्रकट करते हुए जाते हैं)

विवेक-परिवर्तन । वर्षा से धुले हुए आकाश की स्वच्छ चन्द्रिका-तमिनासे-कुहू से बदल जायगी- बालको के-से शुभ्र हृदय छल की मेघमाला से ढक जायेंगे।

(सोचता है)

विवेक-पिता । पिता ! हम डरेगे,तुमसे काँपेंगे?

क्यो ? हम अपराधी है । नहीं-नहीं, यह क्या अच्छी

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