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अंक १, दृश्य ४

मिलन-रात्रि है। विनोद के आने का समय हो गया। मै दोनो को भेंट करके जाऊँगी।

लीला-विनोद। कौन | नही कामने । सन्तोष । मेरा प्यारा सन्तोष । तुमने तो ब्याह न करने का निश्चय किया है ?

कामना-कैसी है तू । मेरा निर्वाचित है । मै चाहे व्याह करूं या नहीं, परन्तु वह तो सुरक्षित रहेगा- समझी लीला | तेरे लिए तो विनोद ही उपयुक्त है । सन्तोष मुझसे डरता है, तो मै भी उससे सबको डराऊँगी-विनोद को मै बुला आई हूँ। वह तेरा परम अनुरक्त है।

(लीला अवाक् होकर देखती है)

(फूलो के मुकुट से सजा हुआ विनोद आता है)

कामना-स्वागत ।

लीला-विराजिये।

(सब बैठते है)

(कामना दो फूल के हार दोनों को पहनाती और पात्र लेकर दोनों को एक में पिलाती है। पीछे खड़ी होकर

दोनों के सिर पर हाथ रखती है। तीनो के मुख पर तीव्र आलोक)

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