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कामना
 

भी, अभी थकावट दूर होती है । (लीला और कामना पीती है)

लीला-बहन, इसके पीते ही तो मन दूसरा हुआ जाता है।

कामना-बड़ी अच्छी वस्तु है।

लीला-ऐसी पेया तो नहीं पी थी। यहाँ कहाँ से ले आई ?

कामना–एक दिन मै और विलास, दोनो, नदी के किनारे-किनारे बहुत दूर निकल गये। फिर नदी से भी दूर चले गये । वहाँ प्यास लगी; परंतु नदी तक लौटने में विलम्ब होता । एक तरबूज आधा पड़ा था, उसमे सूर्य की गर्मी से तपा हुआ उसी का रस था । हम दोनो ने आधा-आधा पी लिया। बड़ा आनंद आया । अब उसी रीति से बनाया करती हूँ।

लीला-(मद-विह्वल होती है) कामना, तू वन- लक्ष्मी है। वह जो आई थी, मुझे भुलाने आई थी। तू क्या है, सुगंध की लहर है। चॉदनी की शीतल चादर है । अः-( उठना चाहती है)

कामना-(लीला को बिठाकर) तू बैठ, आज

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