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लोग प्राचीन प्रथा के अनुसार केवल उपासना के लिए किसी के नेतृत्व मे अनुसरण करते है। सम्भवतः जब तक लोग उसकी कोई अयोग्यता न देख लेगे. तब तक उसी को नेता मानते रहेगे । भाग्य से आज- कल कामना ही है; परंतु मेरे कारण शीघ्र इसको अपने पद से हटना होगा। तो जब तक यह इस पद पर है, उसी बीच में अपना काम कर लेना होगा ।

(दूर पर एक स्त्री की छाया देख पड़ती है)

छाया-मूर्ख। अपने देश की दरिद्रतासे विताडित और अपने कुकर्मों से निर्वासित साहसी ! तू राजा बना चाहता है ? तो स्मरण रख, तुझे इस जाति को अपराधी बनाना होगा। जो जाति अपराध और पापो से पतित नही होती, वह विदेशी ता क्या, किसी अपने सजातीय शासक की भी आज्ञाओ का बोझ