हैं, जिनके पढ़ने में बालकों का चित्त लगे। भला गिलहरी, बन्दर, कोयल, जुगुनू और बूँदियों के विषय में कविता पढ़ने के लिए किस बालक का मन न चाहेगा? हमारा विश्वास है, बालक-वृन्द इसे बड़े चाव से पढ़ेंगे। ऐसी प्रशंसित पुस्तिका का मूल्य ।)
२—कविता-कुसुम
सकलयिता—श्रीरामवृक्षशर्मा बेनीपुरी
हिन्दी के प्रसिद्ध-प्रसिद्ध कवियों की बालोपयोगी कविताओं का इसमे सुन्दर संकलन है। समूची पुस्तक विनय-वाणी, वन-विहार, पवित्र परिवार, पुनीत पर्व, प्रकृति-पर्यवेक्षण, बुढ़ापा बनाम बचपन, वीर-विरुदावली और स्वर्गीय संदेश—इन आठ भागों में विभक्त है। कवियों में अम्बिकादत्त व्यास, प्रतापनारायण मिश्र, बदरीनाथ भट्ट, 'सनेही', अमीरअली मीर, मन्नन द्विवेदी गजपुरी, अयोध्यासिंह उपाध्याय, लाला भगवानदीन और रघुवीरनारायण मुख्य हैं। पृष्ठ-संख्या ७०, वार्डर-युक्त सुन्दर छपाई, मूल्य ।)
बाल-मनोरंजन-माला
'बालक'-सम्पादक द्वारा लिखित और सम्पादित
१—बगुला-भगत
लड़कों और लड़कियों के लिए बड़ी ही मनोरंजक पोथी। कई मनोरंजक चित्रों से सजाई हुई। इसमें बगुला-भगत की धूर्तता, पोठिया-देवी की चतुराई, केकड़ा-चौबे का साहस, बगुला भगत और उनकी भगतिन की चोचों का सफाया, भगत का वैराग्य, मानसरोवर के हंसों के गुरु बगुलाजी का भयानक भंडाफोड़ आदि पढ़ते ही लड़के हँसते-हँसते लोटपोट हो जाते हैं। मूल्य ।״)
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